आपके अंतःकरण में गायत्री परिवार से जुड़ने की आकांक्षा उत्पन्न हुई है, तो इसका एकमात्र आशय यही है कि आपके पिछले कई जन्मों के एकत्रित पुण्य का घड़ा भर गया है और फूटकर आपको आपके परम लक्ष्य को पाने के लिए— ईश्वरीय कृपा वरदान के रूप में प्रदान करने के लिए— ईश्वर लालायित है। ईश्वर के पक्ष से यह कार्य तो पूरा हुआ। अब आपके पक्ष से आपके कर्त्तव्य शेष हैं, जो केवल और केवल आपको ही निभाना है। और वह है — उस लक्ष्य हेतु अपनी पात्रता विकसित करना।
इसके लिए आपको ज्यादा कुछ नहीं करना है, सर्वप्रथम समीप के गायत्री शक्तिपीठ या किसी भी केंद्र में जाएँ। वहाँ के कार्यक्रमों में अपनी नियमित भागीदारी देते हुए अपनी इच्छाशक्ति को और सुदृढ़ करें।
वास्तव में गायत्री परिवार का अर्थ ही है— युगनिर्माण योजना परिवार। अतः इसके हर एक सदस्य का युगनिर्माणी— युगशिल्पकार होना स्वाभाविक ही है। इसमें व्यक्ति निर्माण, परिवार निर्माण, समाज निर्माण, राष्ट्र निर्माण, विश्व निर्माण सभी आ जाते हैं।
इसी लिए गायत्री परिवार से जुड़ने का वास्तविक अर्थ— शान्तिकुञ्ज से संचालित ‘एक एकमासीय युगशिल्पी-सत्र’ में कम-से–कम एक बार की परम आवश्यक सहभागिता ही है। (आप चाहें तो इससे ज्यादा भी कर सकते हैं) । इससे कम में तो आप युगशिल्पकार नहीं बन सकते।
इसके लिए आप वहीँ के किसी प्रबुद्धजन के मार्गदर्शन में या फिर स्वयमेव ‘दीक्षा संस्कार’ एवं ‘नौ दिवसीय साधना-सत्र’ के लिए हमारे शान्तिकुञ्ज-हरिद्वार के ही शिविर कार्यालय के लिंक — http://www.awgp.org/social_initiative/shivir/apply में जा ‘नौ दिवसीय साधना-सत्र’ के लिए ऑनलाइन एप्लीकेशन फॉर्म भरकर चार-पाँच माह पूर्व ही आपको हमें भेजना होगा, ताकि हम सीटों की उपलब्धता के आधार पर आपकी निर्दिष्ट साधना-सत्रावधि निश्चितकर आपको ईमेल या फोन के द्वारा सूचित कर पाएँ तथा साथ ही इसके लिए आवश्यक अन्य बातें भी समय पर ही आपको बताए जा सकें।
एक-दो दिन पूर्व ही यहाँ आकर यहीं सर्वप्रथम दीक्षा ले लें, फिर उसके बाद निश्चित किए गए दिनांक से ‘नौ दिवसीय साधना-सत्र’ में सहभागिता दें।
शान्तिकुञ्ज-हरिद्वार में यह ‘नौ दिवसीय साधना-सत्र’ वर्ष भर ( प्रत्येक माह के 1—9, 11—19, 21—29 के दिनांकों में क्रम से, 1 वर्ष में कुल 36 बार ) चलती रहती है। आप अपने समय-सुविधानुसार जिस भी एक सत्र में कम-से-कम एक ‘नौ दिवसीय साधना-सत्र’ में तो अवश्य ही अनुष्ठान करें।
शान्तिकुञ्ज में सारे सत्र-शिविर, चाहे वह ‘नौ दिवसीय साधना-सत्र’ हो; चाहे ‘एकमासीय युगशिल्पी-सत्र’ हो; चाहे ‘एकमासीय परिव्राजक-सत्र’ हो; चाहे ‘त्रैमासिक संगीत-सत्र’ हो; या फिर ‘45 दिवसीय स्वावलंबन-सत्र’ ही हो; पूर्णत: निःशुल्क (आवास, भोजन इत्यादि सहित) निश्चित दिनांकों में संपन्न होते रहते हैं।
इनमें से किसी भी सत्र-शिविर को (नौ दिवसीय साधना-सत्र को छोड़कर) करने की न्यूनतम योग्यता के लिए शान्तिकुञ्ज में कम-से–कम एक ‘नौ दिवसीय साधना-सत्र’ करना अति अनिवार्य है।
ज्यादा अच्छा होगा कि आप वहीं किसी प्रबुद्धजन से परामर्श एवं सहायता लेकर हमारी साईट www.awgp.org इत्यादि से जुड़कर भी हमारे सारे गतिविधियों-कार्यक्रमों के सूचना व लाभ ले सकते हैं।
Gayatri Pariwar is a family with objective of awakening divinity in human & heaven on earth (मनुष्य में देवत्व का उदय - धरती पर स्वर्ग का अवतरण).
For the same, first thing to do is Self Refinement ( अपना सुधार ). There are 4 things needs to do daily for self refinement.
1. Spiritual practice (Upasana) :: sitting near to your favourite deity for 15 mins. Chanting of Gayatri Mantra for 15 mins is suggested.
2. Self-study (Swadhayay) :: Regularity in Studying spiritual books and contemplation on what you have read.
3. Self-restraint (Sanyam) :: Reduce your need and save energy. Divert these saved energy into right direction.
4. Social service (Seva) :: Give 15 mins to 2 hrs per day for betterment of society.
Details of above steps can be viewed at self Transformation section.
Ensure your participation on the constructive movement run by shantikunj for betterment of society. check our initiative section for details of activities. You can also mail to youthcell@awgp.org for getting more details on movements.
Join our local team to participate on the activities of your interest. Find local contacts of your area.
Also, visit Shantikunj, head quarter of Gayatri Pariwar, at least once in a year. Its academy for social and spiritual awakening. You will find intense spiritual energy here for upliftment and refinement of personality. You can meet H.H. Dr Sahab & Vandaniya Jiji (present mentor), senior members & youth members. You will feel like family here.
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