जीवन में समाहित हों होली पर्व की प्रेरणाए
परम्पर भेद मिटाने, प्रेम बढ़ाने का पर्व है होली - श्रद्धेय डॉ. प्रणव जी
शान्तिकुञ्ज तथा देव संस्कृति विश्व विद्यालय परिवार ने रंगों का त्योहार
होली बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया। देश-विदेश से आये हजारों लोगों को
अपने स्नेह से विभोर कर देने वाली श्रद्धेया शैल जीजी से चंदन-केशर का तिलक लगवाकर होली पर्व का शुभारंभ करने का अविस्मरणीय सौभाग्य प्राप्त हुआ। उन्होंने सभी को समरसता बढ़ाने वाले महापर्व होली की शुभकामनाएँ दीं। तत्पश्चात् सभी ने एक-दूसरे को प्राकृतिक गुलाल से रंगकर, परस्पर गले लगाकर अपनी आत्मीयता की अभिव्यक्ति की। अंतेवासी कार्यकर्त्ता ढोल-नगाड़ों के साथ घर-घर तक पहुँचे और हर हृदय को उमंग-उल्लास से भर दिया।
श्रीरामपुरम् के मैदान में होली मिलन-रंगोत्सव का कार्यक्रम देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या जी की अगुवाई में मनाया गया। संगीत विभाग के भाइयों द्वारा ढोल-नगाड़ों के साथ गाए प्रेरणाप्रद गीतों ने पर्व के उमंग और उल्लास को दोगुना कर दिया। लोग होली आई आई रे, गुझिया लाई लाई रे ..., रंग बसंती प्रभा केसरी ... जैसे अनेक प्रेरणाप्रद गीतों के साथ झूमते रहे। देसंविवि के विद्यार्थियों के साथ विदेशी मेहमान भी अबीर गुलाल के साथ होली के रंग में रंगे दिखाई दिये।
इससे पूर्व शान्तिकुञ्ज के श्रीरामपुरम में लगभग 5000 कार्यकर्त्ता,
शिविरार्थी, श्रद्धालुओं की उपस्थिति में होलिका दहन का पावन पर्व उसकी
आदर्श प्रेरणाओं के साथ मनाया गया।
श्रद्धेय डॉक्टर प्रणव पण्ड्या जी और श्रद्धेया शैल जीजी ने अखिल विश्व
गायत्री परिवार का प्रतिनिधित्व करते हुए दीप यज्ञ के साथ होलिका दहन का विस्तृत कर्मकाण्ड सम्पन्न किया। श्रद्धेय डॉक्टर साहब ने होली को जाति, वर्ग आदि समस्त भेदभावों को दूर करने की प्रेरणा देने वाला महापर्व बताया। उन्होंने कहा हम पर्व मनाने तक ही सीमित न रहें, बल्कि इसकी प्रेरणाओं को दैनंदिन जीवन में अपनाते हुए ‘जाति-वंश सब एक समान, मानव मात्र एक समान’ के नारे को चरितार्थ करने के लिए आगे आएँ। उन्होंने कहा कि होली समाज की ऊर्जा को कुयोग से बचाकर सुयोग में लगाने की प्रेरणा देने का पर्व है।