व्यक्तित्व का विकास कैसे करें...

(१) प्रातः उठने से लेकर सोने तक की व्यस्त दिनचर्या निर्धारित करें। उसमें उपार्जन, विश्राम, नित्य कर्...

April 16, 2024, 11:12 a.m.

परिवार निर्माणः-...

(१) परिवार को अपनी विशिष्टताओं को उभारने अभ्यास करने एवं परिपुष्ट बनाने की प्रयोगशाला, पाठशाला समझे।...

April 16, 2024, 11:11 a.m.

एकता और समता का आदर्श...

राष्ट्रीय एकता का वास्तविक तात्पर्य है-मानवीय एकता। मनुष्य की एक जाति है। उसे किन्हीं कारणों से विखण...

April 16, 2024, 11:10 a.m.

कर्मफल हाथों-हाथ...

अहंकार और अत्याचार संसार में आज तक किसी को बुरे कर्मफल से बचा न पाये। रावण का असुरत्व यों मिटा कि उस...

April 16, 2024, 10:59 a.m.

अंडा खाइये और लकवा बुलाइये...

इधर मूर्ख नेताओं वाले देश भारतवर्ष में तृतीय पंचवर्षीय योजना देश भर में मुर्गी पालन और अण्डा उत्पादन...

April 16, 2024, 10:55 a.m.

जैसी आपकी सोच, वैसे आपके कर्म...

समय बड़ा विचित्र है न ये समय।  कहा जाय तो एक भाव है, एक संख्या है, एक विषय है, अब देखिये न, सूर्योदय ...

April 16, 2024, 10:54 a.m.

‼ चिन्तन ‼...

संसार क्षणभंगुर है, संसार में चारों ओर देखो यहां, वहां, जहां, तहां देखो जितने भी  पदार्थ इन चर्म चक्...

April 16, 2024, 10:52 a.m.

मेरे सदगुरु के दरबार में.....

मेरे सदगुरु के दरबार में "द" शब्द वाली वस्तु "स" शब्द में बहुत ही जल्दी बदलती है...! जैसे दुःख बदल ...

April 16, 2024, 10:51 a.m.

मंदबुद्धि से प्रख्यात बुद्धिमा...

मस्तिष्क की स्मरण शक्ति और बुद्धि प्रखरता बढ़ाने में इंग्लैंड के डब्ल्यू.जे.एम. बाटन की कोई सानी नही...

April 16, 2024, 10:49 a.m.

जीवन में कठोरता हो, तो साधना फ...

साधक को अपने लिए  जीवन में कठोरता अपनानी चाहिए ः डॉ प्रणव पण्ड्या हरिद्वार 15 अप्रैल।अखिल विश्व गाय...

April 15, 2024, 5:30 p.m.

जीवन में कठोरता हो, तो साधना फ...

साधक को अपने लिए  जीवन में कठोरता अपनानी चाहिए ः डॉ प्रणव पण्ड्या हरिद्वार 15 अप्रैल।अखिल विश्व गाय...

April 15, 2024, 5:30 p.m.

अंदर के कषाय कल्मष को धोने का ...

शांतिकुंज पहुंचे देश विदेश से हजारों साधक, सामूहिक नवरात्र साधना में जुटे हरिद्वार 15 अप्रैल।देवसंस्...

April 15, 2024, 5:25 p.m.

नवरात्र साधना सात्विक होना चाह...

शांतिकुंज में बड़ी संख्या में उपनयन सहित विभिन्न संस्कार निःशुल्क सम्पन्न देवभूमि इन दिनों साधना के र...

April 15, 2024, 12:55 p.m.

साधना से होता है साधक का जीवन ...

साधना साधक को प्रभु प्रेम के निकट पहुंचाता है- श्रद्धेय डॉ.प्रणव पण्ड्या हरिद्वार 12 अप्रैल।इन दिनों...

April 12, 2024, 6:14 p.m.

देसंविवि में अतंराष्ट्रीय योग ...

आध्यात्मिक ज्ञान सम्पदा का सर्वोच्च शिखर है भारत - डॉ. चिन्मय पण्ड्या               चित्त के एकाग्र ...

April 11, 2024, 10:15 p.m.

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह ध...

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी ने देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में यज्ञोपैथी रिसर्च सेंटर का उद्घ...

April 11, 2024, 9:56 p.m.

माता शबरी जैसी हो एकनिष्ठ साधन...

शांतिकुंज में पहुंचे देश विदेश से हजारों साधक, मनोयोगपूर्वक गायत्री साधना में जुटे हरिद्वार 9 अप्रैल...

April 10, 2024, 4:45 p.m.

गायत्री परिवार प्रमुखद्वय ने द...

गायत्री परिवार प्रमुखद्वय ने दी नवसंवत्सर की शुभकामनाएँ अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ...

April 10, 2024, 4:37 p.m.

गुजरात के शामली से ज्योति कलश ...

शान्तिकुञ्ज में अखण्ड दीपक से अभिमंत्रित ज्योति कलश श्रद्धेयद्वय द्वारा गुजरात के परिजनों को दिया गय...

April 10, 2024, 4:20 p.m.

गायत्री साधना से विकसित होती ह...

शांतिकुंज में सामूहिक गायत्री साधना अनुष्ठान में जुटे हजारों लोग हरिद्वार 10 अप्रैल।अखिल विश्व गायत्...

April 10, 2024, 4:06 p.m.
as

First Meeting With Guru

At the age of 15- Self-realization on Basant Panchanmi Parva 1926 at Anwalkheda (Agra, UP, India), with darshan and guidance from Swami Sarveshwaranandaji.

Akhand Deep

More than 2400 crore Gayatri Mantra have been chanted so far in its presence. Just by taking a glimpse of this eternal flame, people receive divine inspirations and inner strength.

Akhand Jyoti Magazine

It was started in 1938 by Pt. Shriram Sharma Acharya. The main objective of the magazine is to promote scientific spirituality and the religion of 21st century, that is, scientific religion.

Gayatri Mantra

The effect of sincere and steadfast Gayatri Sadhana is swift and miraculous in purifying, harmonizing and steadying the mind and thus establishing unshakable inner peace and a sense of joy filled calm even in the face of grave trials and tribulations in the outer life of the Sadhak.

आचार्य जी ने सिद्धांत और साधना को आधुनिक युग के अनुकूल तर्क व शब्द देकर सामाजिक परिवर्तन का जो मार्ग दिखाया है, उसके लिए आने वाली पीढ़ियाँ युगों-युगों तक कृतज्ञ रहेंगी।

डॉ. शंकर दयाल शर्मा (पूर्व राष्ट्रपति)

मुझे ज्ञात है कि इस विश्वविद्यालय ने स्वतंत्रता सेनानी और लगभग ३००० पुस्तकों के लेखक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्यजी के स्वप्न को साकार रूप दिया है। इन्हें भारत में ज्ञान क्रांति का प्रवर्तक कहना उपयुक्त होगा। आचार्यश्री का विचार था कि अज्ञानता ही निर्धनता और बीमारी आदि सभी समस्याओं की जड़ है।

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम (पूर्व राष्ट्रपति एवं वैज्ञानिक)

आचार्य जी का एकाकी पुरुषार्थ सारे संत समाज की सम्मिलित शक्ति के स्तर का है, उनने गायत्री व यज्ञ को प्रतिबंध रहित करने निमित्त जो कुछ भी किया वह शास्त्रों के अनुसार ही था। मेरा उन्हें बारम्बार नमन है।

स्वामी जयेन्द्रतीर्थ सरस्वती (शंकराचार्य कांची कामकोटि पीठ)

श्रद्धेय आचार्य श्रीराम शर्मा जी ने जो कार्य कर दिखाया वह अद्भुत है, युग के लिए नितांत आवश्यक है। आचार्य जी के साहित्य से मैं बहुत प्रभावित हूँ। प्रज्ञा पुराण ने विशेष रूप से मुझे अपने कार्यों में बहुत बल प्रदान किया है। उनका चिंतन राष्ट्र को शक्तिशाली बनाता और मानव मात्र को सही दिशा प्रदान करता है।

श्री नानाजी देशमुख (संस्थापक ग्रामोदय विश्वविद्यालय)

आचार्य जी द्वारा भाष्य किए गए उपनिषदों का स्वाध्याय करने के बाद उन्होंने कहा कि- ‘‘काश! यह साहित्य मुझे जवानी में मिल गया होता तो मेरे जीवन की दिशाधारा कुछ और ही होती; मैं राजनीति में न जाकर आचार्य श्री के चरणों में बैठा अध्यात्म का ज्ञान ले रहा होता।’’

सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन्

विनोबा जी ने वेदों के पूज्यवर द्वारा किए गए भाष्य को ग्वालियर मेंं एक सार्वजनिक सभा में अपने सिर पर धारण करते हुए कहा- "ये ग्रन्थ किसी व्यक्ति द्वारा नहीं, शक्ति द्वारा लिखे गये हैं।"

आचार्य विनोबा भावे

सुप्रसिद्ध सन्त देवरहा बाबा एक सिद्ध पुरुष थे। उनने एक परिजन से कहा- ‘‘बेटा! उनके बारे में मैं क्या कहूँ? यह समझो कि मैं हृदय से सतत उनका स्मरण करता रहता हूँ। गायत्री उनमें पूर्णतः समा गयी है एवं वे साक्षात् सविता स्वरूप हैं।’’

देवरहा बाबा

‘‘आचार्यश्री ने गायत्री को जन-जन की बनाकर महर्षि दयानन्द के कार्यों को आगे बढ़ाया है। गायत्री और ये एकरूप हो गये हैं।’’

महात्मा आनन्द स्वामी

अपने भावभरे उद्गार पूज्यवर के सम्बन्ध में इस रूप में व्यक्त किए थे- ‘‘आचार्य जी इस युग में गायत्री के जनक हैं। उनने गायत्री को सबकी बना दिया। यदि इसे मात्र ब्राह्मणों की मानकर उन्हीं के भरोसे छोड़ दिया होता तो अब तक गायत्री महाविद्या सम्भवतः लुप्त हो गयी होती।’’

करपात्री जी महाराज