प्रज्ञापुराण कथा द्वारा प्रगतिशील परम्पराओं की प्रेरणा
भिलाई, दुर्ग। छत्तीसगढ़
इस्पात नगरी भिलाई के सेक्टर-5 स्थित जय-विजय ऑडिटोरियम में 9 से 11 अगस्त तक पर्यावरण संरक्षण एवं जनकल्याण हेतु 5 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ एवं पावन प्रज्ञा पुराण कथा का आयोजन किया गया। पावन प्रज्ञापुराण कथा में गौ, गंगा, गीता, गायत्री तथा गुरू की महत्ता बताई गई। व्यर्थ में अन्न और जल की बर्बादी न करने, घर हो या शादी-विवाह हो, जूठन न छोड़ने, नशा से दूर रहने, पर्यावरण को बचाये रखने के लिए अपने जन्मदिन, विवाहदिन, पितृतर्पण जैसे विशिष्ट अवसरों पर वृक्षारोपण करने जैसी अनेक प्रगतिशील प्रेरणाएँ समाज को दी गइर्ं। अनेक लोगों ने नियमित गायत्री महामंत्र लेखन के संकल्प लिए। यह कार्यक्रम परम वंदनीया माताजी की जन्मशताब्दी के प्रयाज स्वरूप आयोजित किया गया था। इसमें भिलाई नगर निगम के महापौर श्री नीरज पाल, सेक्टर-5 भिलाई के वार्ड पार्षद श्री पंकज पाल, गायत्री परिवार के उपजोन समन्वयक श्री एस.पी. सिंह, श्री मोहन उमरे आदि अनेक कार्यकर्त्ताओं का उत्साहपूर्ण सहयोग रहा।
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सार्वभौम सर्वजनीन-माँ की उपासना
दुनिया में जितने धर्म, सम्प्रदाय, देवता और भगवानों के प्रकार हैं उन्हें कुछ दिन मौन हो जाना चाहिए और एक नई उपासना पद्धति का प्रचलन करना चाहिए जिसमें केवल “माँ” की ही पूजा हो, माँ को ही ...
सच्चा आत्म-समर्पण करने वाली देवी
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व्यर्थ का उलाहना
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पवित्र, श्रद्धालु और धार्मिक बनें
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धर्मतंत्र और राजतंत्र, दो ही मानव-जीवन को प्रभावित करने वाले आधार हैं। एक उमंग पैदा करता है तो दूसरा आतंक प्रस्तुत करता है। एक जन-साधारण के भौतिक जीवन को प्रभावित करता है और दूसरा अन्त:करण के मर्मस...
व्यक्ति नहीं, व्यक्तित्व
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दार्शनिकों से लेकर वै...
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गीता में मनुष्य की तुलना एक ऐसे पीपल के वृक्ष के साथ की है जिसकी जड़ें ऊपर और शाखा, पत्ते नीचे हैं। मस्तिष्क ही जड़ है और शरीर उसका वृक्ष। वृक्ष का ऊपर वाला भाग दिखाई पड़ता है, जड़ें नीचे जमीन में ...
आन्तरिक निकटता चाहिए
दूसरों की तरह हमारे भी दो शरीर हैं, एक हाड़-मांस का, दूसरा विचारणा एवं भावना का। हाड़-मांस से परिचय रखने वाले करोड़ों हैं। लाखों ऐसे भी हैं जिन्हें किसी प्रयोजन के लिए हमारे साथ कभी सम्पर्क करना...