दुष्टों से प्रेम, दुष्टता से युद्ध
बीमारी और बीमार एक ही वस्तु नहीं हैं। यदि डॉक्टर बीमारी के साथ बीमार को भी मार डाले, तो उसकी बुद्धि को क्या कहें?
आप दुष्टता और दुष्ट के बीच अंतर करना सीखिए। कोई भी प्राणी नीच, पतित या पापी नहीं है, तत्वतः वह पवित्र ही है। भर्म, अज्ञान और बीमारी के कारण वह कुछ का कुछ समझने लगता है। इस बुद्धिभ्रम का ही इलाज करना है। बीमारी को मारना है, बीमार को बचाना है।
आप तो दुष्टता से लड़ने को तैयार रहिए, फिर वह चाहे दूसरों में हो या अपने अंदर। आप पापी व्यक्तियों को निष्पाप करने के लिए साम, दाम, दण्ड, भेद चारों उपाय कीजिए, पर उन पापियों से किसी प्रकार का निजी राग-द्वेष मत रखिए।
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विभूतियाँ महाकाल के चरणों में समर्पित करें
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मनुष्य को मनुष्य बनाने वाला धर्म
“मेरे देशवासियों! विषम परिस्थितियों का अन्त आ गया। काफी रो चुके, अब रोने की आवश्यकता नहीं रही। अब हमें अपनी आत्म शक्ति को जगाने का अवसर आया है। उठो, अपने पैरों पर खड़े हो और मनुष्य बनो।...