कन्या/किशोर मंडलों की गतिविधियाँ
- व्यक्तित्व परिष्कार के गुणों का शिक्षण और प्रशिक्षण।
- कन्याएं/किशोर स्वयं समूह बनायें और संगठित रहें, स्वाध्याय मंडल चलायें।
- शरीर स्वास्थ हेतु योग प्राणायाम करें, स्वयं सीखें और सबको सिखायें।
- आत्मशक्ति के जागरण हेतु वीरों-वीरांगनाओं, महापुरुषों की गाथाओं का स्वाध्याय करें।
- मानसिक प्रबंधन हेतु सप्ताह में एक दिन सामूहिक जप- ध्यान -योग करें।
- रोजगारपरक प्रशिक्षण लें।
- सप्त आंदोलनों में अपनी भूमिका सुनिश्चित करें।
- नारी/ युवा जागरण आंदोलन में भागीदारी।
- सप्ताह में एक दिन समाज कल्याण की कोई गतिविधि चलायें जैसे गरीब बच्चों को पढ़ाना, बाल संस्कारशाला चलाना, वृक्षारोपण, स्वच्छता इत्यादि।
- कन्या भ्रूण हत्या, दहेज प्रथा, दुर्व्यसन, अश्लील फिल्में-साहित्य दिखावेबाजी एवं फिजूलखर्ची आदि कुरीतियों के उन्मूलन हेतु जन-जागरुकता कार्यक्रम चलाना।
सहायक साहित्य-
वाङमय 34 - भारतीय संस्कृति के आधारभूत तत्व, वाङमय 65- सामाजिक, नैतिक एवं बौद्धिक क्रांति कैसे? वाङमय 62 - इक्कीसवीं सदी-नारी सदी, वाङमय 48- समाज का मेरुदण्ड- सशक्त परिवार तंत्र, वाङमय 63 - हमारी भावी पीढ़ी और उसका नव निर्माण, वाङमय 61- गृहस्थ एक तपोवन, प्रज्ञा पुराण एवं नैतिक शिक्षा
विशेषः प्रस्तुत रूपरेखा के आधार पर परिजन कन्याओं के अतिरिक्त किशोरों के लिये किशोर कौशल सत्र भी आयोजित करें। ठोस परिणाम हेतु आवासीय सत्रों की अपेक्षा स्थानीय स्तर पर छोटे-छोटे समूहों में प्रति रविवार कन्या/ किशोर कौशल सत्र आयोजित किये जायें। यदि कार्यकर्त्तार् निष्ठापूर्वक नई पीढ़ी को तराशने में अपनी प्रतिबद्धता दिखाएँ तो निश्चित ही कुछ ही वर्षों में युग परिवर्तन की लहर देश भर में दिखाई पड़ने लगेगी।
कन्या/ किशोर कौशल अभिवर्धन सत्रों हेतु गतिविधियाँ
प्रतिभागियों की रचनात्मकता बढ़ाने के उद्देश्य से विभिन्न गतिविधियों एवं खेलों का आयोजन भी करें। इस हेतु कुछ गतिविधियाँ नीचे दी जा रही हैं। आयोजक परिस्थिति के अनुसार अन्य गतिविधियाँ भी चुन सकते हैं।
- भाषण - चरित्र निर्माण, स्वास्थ्य रक्षा, संगति, समय एक अनमोल संपदा, धन का सदुपयोग, भारतीय संस्कृति की विशेषताएँ, अध्ययन में एकाग्रता या अन्य कोई राष्ट्रीय विषय ले सकते हैं। समय- अधिकतम 10 मिनट।
- वाद-विवाद प्रतियोगिता- इसके विषय ऐसे हों जिस पर वाद-विवाद करके सत्यता तक पहुँचा जा सके। एक ही विषय लेकर किशोर, पक्ष और विपक्ष में अपनी राय व्यक्त करें। समय- भ् मिनट। अंत में प्रशिक्षक अपना निर्णायक पक्ष रखें। विषय- ‘मनुष्य शाकाहारी प्राणी है, ‘विज्ञान समाज के लिए वरदान है, ‘फैशन की उपयोगिता, ‘धन से सुख शांति मिलती है, ‘समाज में मीडिया की भूमिका, ‘मोबाइल की आवश्यकता’ ‘फास्ट फूड’ इत्यादि। प्रशिक्षक स्वविवेक से कोई अन्य विषय भी निश्चित कर सकते हैं।
- तात्कालिक भाषण - किसी सरल व प्रासंगिक/प्रचलित विषयों को लेकर कागज में लिखकर पर्चियाँ बना ली जाएँ। प्रत्येक प्रतिभागी को एक पर्ची उठाने को कहें। चिन्तन करने हेतु भ् मिनट का समय दें। विषय- पर्यावरण, ऊर्जा संरक्षण, जल संरक्षण, व्यसन मुक्ति, स्वच्छता, आस्तिकता (ईश्वर विश्वास) भोजन संबंधी नियम, स्वास्थ्य रक्षा के सूत्र, व्यक्तित्व निर्माण में नैतिक शिक्षा की भूमिका इत्यादि।
- चित्रकला - विषय- स्वच्छ भारत, राष्ट्रीय एकता, वृक्षारोपण, जीव संरक्षण। कुरीति उन्मूलन संबंधी विषय- दहेज प्रथा, बाल विवाह, बलिप्रथा, कन्या भू्रण हत्या, व्यसन मुक्ति, लड़का-लड़की में भेद, अशिक्षा इत्यादि। समय-20 मिनट।
- प्रेरक प्रसंग सुनाओ - किशोर अपनी पंसद से अपने लिए आदर्श महापुरुष/व्यक्तित्व का चुनाव करें और उनके जीवन के प्रेरक प्रसंग सुनाएँ।
- निबंध/काव्य लेखन - उपरोक्त विषयों को ही लेकर निबंध लेखन करा सकते है।
- पोस्टर व नारे बनाओ- सामयिक विषयों पर पोस्टर व नारे बनवा सकते हैं।
- राष्ट्रीय गीत/ प्रज्ञागीत अंताक्षरी
- अंताक्षरी- ऋषियों, महापुरुषों, क्रांतिकारियों, समाज सुधारकों, प्रसिद्ध वैज्ञानिकों के नाम आधारित अंताक्षरी।
- प्रश्नोत्तरी (क्विज)प्रतियोगिता- शिविर में बताये गए विषयों के आधार पर प्रश्नोत्तरी कर सकते हैं।
- रंगोली प्रतियोगिता- रचनात्मक विषयों पर आधारित हो। समय- 20 मिनट
- योग एवं आत्म-सुरक्षा - सूर्य नमस्कार, प्रज्ञायोग, व्यायाम, लाठी प्रशिक्षण, दण्ड चालन, आत्मरक्षा के विविध तरीकों से संबंधित कक्षायें चलायें।
- एकल अभिनय प्रतियोगिता- विषय केवल मनोरंजनात्मक नहीं शिक्षाप्रद हों।
- क्राफ्ट कार्य सिखायें- कागज से उपयोगी या सजावट की सामग्री तैयार करना। यथा- नाइट लैम्प, फाइलें, डिब्बे, लिफाफे, पैन स्टैण्ड इत्यादि।
- अवशेष-व्यर्थ सामग्री- से उपयोगी सामान बनाना सिखायें।
- ऐसे में आप क्या करेंगे? - इस गतिविधि का उद्देश्य है प्रतिभागियों में समाज की विभिन्न परिस्थितियों के प्रति समझ विकसित करना। ताकि वे समाज के विभिन्न पहलुओं को भली-भाँति समझ सकें एवं विभिन्न सामाजिक समस्याओं को सुलझाने में अपना योगदान दे सकें।
- गतिविधि का क्रम- इसके लिए टीम विभाजन करके हर टीम को एक सामाजिक परिस्थिति दे दें। उस पर 10 मिनट विचार विमर्श करने के बाद उन्हें अपने सुझाव देने को कहें। प्रत्येक टीम को अलग-अलग परिस्थिती दी जाए। जैसे- एक बेरोजगार एवं गरीब बच्चा है। उसे धन की बहुत आवश्यकता है। उसे अचानक राह चलते एक धन से भरा बटुआ मिला। अब उसे ऐसा क्या करना चाहिए जो नैतिक एवं व्यावहारिक दोनों दृष्टियों से सही हो?
- ऐसी विभिन्न सामाजिक परिस्थितियाँ देकर प्रतिभागियों को सही उत्तर देने को कहें। इससे उनके जीवन में आदर्शवादिता के सूत्र स्थापित होंगे।
- सांस्कृतिक संध्या - पर्व-त्योहार-दिन विशेष पर शक्तिपीठों पर कन्या/ किशोर मंडलों के द्वारा सांस्कृतिक संध्या का आयोजन भी किया जा सकता है। इस कार्यक्रम में नुक्कड़ नाटक, प्रेरक संगीत, भाषण, कविता आदि जैसे कार्यक्रम प्रस्तुत किये जा सकते हैं।
- खेल- 1. बॉल रोको, 2.संकेत पहचानो 3. नेता ढूँढो, 4. मुहावरे बताओ, 5. अफवाहें ऐसे फैलती हैं 6. काका जी के काम 7. करके दिखाओ 8. घुटने पर रूमाल बाँधो 9. शब्द संग्रह बढ़ाओ 10.मोमबत्ती बुझाओ (बाल संस्कार शाला मार्गदर्शिका का अवलोकन करें)
- श्रमदान/ शैक्षणिक भ्रमणः- स्वच्छता श्रमदान हेतु प्रतिभागियों को निकट के किसी सार्वजनिक स्थान-तालाब, वृद्धाश्रम, मंदिर, गौशाला आदि स्थानों पर ले जा सकते हैं। झुग्गी बस्ती, वृद्धाश्रम, बाल संरक्षण गृह में जाने की योजना हो, तो उनके लिए पुराने कपड़े, जूते, कहानी की किताबें, खाने-पीने की सामग्री/वस्तुएँ ले जा सकते हैं। वहाँ वृद्धों का सम्मान, मनोरंजन, गीत-कहानी सुनाना, उनसे आपबीती सुनना, उनकी सेवा करना, समस्याएँ सुनना, बाल आश्रम में बच्चों के साथ खेलना, प्रेरक प्रसंग सुनाना, व्यसनों से सावधान करने हेतु पम्फ्लेट बाँटना-चित्र दिखाकर शिक्षण देना आदि कार्य किए जा सकते हैं।
- निम्न विषयों पर भी ख् से ब् घंटे की कार्यशालायें/ जनजागरुकता कार्यक्रम चलाये जा सकते हैं-
- वृक्ष लगायें - जल, जंगल, जमीन बचायें। पर्यावरण बचायें।
- स्वाध्यायशील बनें- अच्छी पुस्तकों का अध्ययन करें।
- प्रदूषणमुक्त समाज बनायें। (भूमि, जल, वायु, ध्वनि, विचार प्रदूषण)
- बाल संस्कार शाला चलायें - भावी पीढ़ी को सृजनशील बनायें ।
- व्यसन मुक्ति अभियान।
- सादा जीवन- उच्च विचार।
- दुष्प्रवृत्तियाँ-विपत्तियों की सहेलियाँ।
- कुटीर उद्योग चलायें- स्वावलंबी राष्ट्र बनायें।
- गौ संवर्धन- पशुधन संवर्धन।
- अपने ग्राम को आदर्श बनायें - शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वावलंबन अपनायें।
- युवक- युवतियाँ शालीन बनें- स्वस्थ समाज की रचना करें।
- अश्लील प्रदर्शनों पर रोक लगायें - सभ्य समाज बनायें।
- कन्या भ्रूण हत्या - नैतिक, बौद्धिक, सामाजिक अपराध।
- लड़के-लड़की का भेद मिटायें - सभ्य, सुसंस्कृत समाज बनायें।
धन- साधन, सुख की बरबादी - फैशन और दिखावेबाजी।