Magazine - Year 1960 - Version 2
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सन् 62 का अष्ट ग्रह योग
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सन् 1962 में एक राशि पर आठ ग्रह एकत्रित होने के कुयोग की चारों ओर चर्चा है। गत अंक में श्री योगेश जी जोशी का एक लेख पाठकों ने पढ़ा होगा। इस संबंध में अन्यत्र भी ज्योतिष शास्त्रियों में चर्चा चल रही है। अंग्रेजी के प्रसिद्ध मासिक पत्र ‘एस्ट्रालोजिकल मैगज़ीन’ में इस संबंध में पिछले दिनों कई लेख छपे हैं, उनमें से कुछ के साराँश इस प्रकार हैं :--
डॉक्टर डब्ल्यू. जे. टुकर डी. एस. सी., के लेख का सार भाग यह है कि - “एक ही राशि पर इतने ग्रहों का एकत्रित होना कोई अभूत पूर्व घटना नहीं है। फिर भी इन ग्रहों का संयोग तृतीय विश्व युद्ध का कारण बन गया है। जनवरी सन् 61 से ‘नाटो संगठन की जन्म कुण्डली अपने प्रभाव प्रकट करना आरम्भ कर देगी।
1 जनवरी 61 को मकर के 20 अंश में शनि तथा वृहस्पति का योग होगा। यह योग आत्मघातक है और विश्व का युद्ध छिड़ जाने की आशंका प्रकट करता है। मैं तृतीय विश्व युद्ध की भविष्यवाणी तो नहीं करता पर विश्व के राजनीतिज्ञों को यह सचेत करना आवश्यक समझता हूँ कि वे अपने मतभेदों को वह भयानक समय आने से पूर्व ही हल करने का प्रयत्न करें अन्यथा संघर्ष होना अनिवार्य दीखता है। सन् 60 का ग्रीष्म काल भी विषम होगा। रूसी नेता इन दिनों अनेकों भूल भरे निर्णय करेंगे। जुलाई, अगस्त, सितम्बर 60 में ‘नाटो संधि’ में शान्ति भंग होगी। इन बाधाओं से सावधान रहना आवश्यक है।
श्री निरुवेंक्टाचारी एम. ए. का कथन है कि 5 फरवरी 62 को प्रातः 3 बजकर 16 मिनट पर महान योग होगा। इसी समय सूर्य ग्रहण भी है। चंद्र और मंगल का मेल ता. 4 फरवरी की प्रातः 6 बजकर 12 मिनट पर होगा। इसका बुरा प्रभाव भारत की राजनैतिक स्थिति पर पड़ेगा। तोड़-फोड़ तथा शासकों की अपकीर्ति की संभावना है। पाकिस्तान के ग्रहयोग में उस समय कन्या तथा धनु राशि का समन्वय है। उससे गहरी राजनीतिक उथल पुथल की संभावना है। सेनाओं में तथा श्रमिक वर्ग में असन्तोष होने और वर्तमान शासन का स्थान श्रमिकों की सरकार ग्रहण कर ले ऐसी संभावना है। उसकी विदेश नीति में परिवर्तन होने से पाकिस्तान के मित्र असंतुष्ट होंगे। चीन के लिए भी वह योग शुभ नहीं है। जनता के कष्ट बढ़ेंगे और बड़े राजनैतिक परिवर्तन होंगे। फारमोसा की समस्या का हल हो जायेगा। अमेरिका के सम्बन्ध अन्य देशों से बिगड़ेंगे। रूस की आन्तरिक व्यवस्था में बहुत उलट पलट होगी।
श्रीमती रुक्मिणी देवी बी. ए. ने अपने लेख में प्रकट किया है कि - सन् 1962 में जो अष्ट ग्रहयोग है उसमें मंगल ऐसा है जिसका साथ होने के कारण अन्य ग्रह भी अशान्त रहेंगे। तृतीय विश्व युद्ध की मैं भविष्य वाणी तो नहीं करता पर स्थिति विस्फोटक अवश्य है। अमेरिका की प्रारम्भ राशि मिथुन मानी जाने से यह योग आठवें और नौवें ग्रह में हो रहा है। इससे भयानक विनाश और संहार की संभावना है। अग्निकाँड और दुर्घटनाओं की भी संभावना हो सकती है। रूस की राशि कुँभ मानने में यह योग बारहवें या लग्न के घर में पड़ेगा। इससे इसकी आन्तरिक, राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्था में भारी लौट पलट हो सकती है। अन्तर्राष्ट्रीय साम्यवाद की शृंखला टूट सकती है।
बारह मिहिरि के अनुसार भूकम्प, अग्निकाण्ड, बाढ़, दुर्घटनाएं, महामारी, फैलने की इस कुयोग के कारण संभावना है। यह कुयोग मानव समाज के लिए चेतावनी है। हम ईश्वर धर्म का अवलम्बन लें जिनसे इस कुयोग के शान्त होने में सहायता मिले।