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निकृष्टता नहीं उत्कृष्टता ही हमें प्रभावित कर सके-कान्फ्यूशियस
प्रयोजन अति महान्-आरम्भ अति सरल
अगले बीस महीने और हमारी दो कामनायें
अपनी श्रद्धा को उर्वर एवं सार्थक बनने दें
दो छोटे कदम जो हमें बढ़ाने ही चाहिए
कर्मठता की चुनौती और समर्थता की खोज
आस्तिकता बढें तो देवत्व विकसित हो सके
प्रबुद्ध परिजनों का संगठन और जन्म दिवसोत्सव प्रक्रिया
धर्म मंच और शिक्षण का समन्वय
हमारी नसों में उष्णता उत्पन्न होकर रहेगी
युग परिवर्तन के छोटे किन्तु महान् शस्त्रागार
युग निर्माण अभियान का महान् सत् साहित्य
विवाहों के आदर्श ऊँचे रखे जायें
खर्चीली शादियाँ हमें बेईमान और दरिद्र बनाती हैं
पतिव्रत ही नहीं पतनीव्रत भी निभाया जाय
शाक हमारी खाद्य समस्या का हल करेंगे
मृतक भोज भी अविवेक पूर्ण न हो
तमाखू का दुर्व्यसन छोड़ा ही जाना चाहिए
धर्मतंत्र को प्रगतिशील बनने दिया जाय
मांस मनुष्यता को त्याग कर ही खाया जाता है
अश्विन में फिर दो शिविरों का आयोजन
लो जल उठी, मशाल क्रान्ति की (कविता) -बलराम सिंह परिहार
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-
Year 1969 - Version 1
Media: SCAN
Language: HINDI
लो जल उठी, मशाल क्रान्ति की (कविता) -बलराम सिंह परिहार
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Other Version of this book
Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
...
Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...
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