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नाव न खेई जाय बिना मल्लाह के -नानक
इस अस्थिर संसार में सुख ढूँढे़ दुःख होय
तुलसी प्रेम पयोधि की ताते माप न जोख
बड़े भाग्य मानुष तन पावा
काल की इकाई से महाकाल तक
गुरु दक्षिणा जो चुकाई न जा सकी
मनुष्य की विलक्षण दिव्य शक्तियाँ
परमार्थ की उपेक्षा न करें
मंत्र परम लघु जासु वस विधि हरि हर सुर सर्व
प्रकृति जब महाकाल बन गई
हिमालय में अमर आत्माओं का रहस्य
स्वर्ग प्रवेश की योग्यता
दिव्य शक्ति संवेदन और तेज की संग्राहक शिक्षा
धर्म प्रथाओं में नहीं, सदाचरण में है
स्वप्नों में छिपी जीवन की गहराइयाँ
मनुष्य और कीट-पंतगों में कितना अन्तर
आध्यात्मिक काम विज्ञान- एक महान् तथ्य
युग परिवर्तन अत्यन्त सन्निकट
अपनों से अपनी बात-हमारे जीवन का अन्तिम बसन्त पंचमी पर्व
दस सूचनायें- जो नोट कर ली जाय
शरीर नहीं आदर्श की रक्षा आवश्यक
जिसने मन को जीत लिया (कविता) - विद्यावती मिश्र
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ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुरवरेण्यम् भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात् ||
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-
Year 1970 - Version 1
Media: SCAN
Language: HINDI
जिसने मन को जीत लिया (कविता) - विद्यावती मिश्र
First
80
82
Last
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Other Version of this book
Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
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Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
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इस अस्थिर संसार में सुख ढूँढे़ दुःख होय
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