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क्षुद्रता अपनाने से मात्र हानि ही हानि है -संत बास्वानी
निष्काम सेवा बुद्धि सर्वोपरि साधन
ईश्वर उसकी अनुकम्पा एवं उपलब्धि
हम प्रगति पथ पर आगे ही बढ़ते चलें
आत्मोकर्ष की दिशा में चलने के लिए दो चरण
आत्मिक प्रगति के लिए श्रद्धा-विश्वास का सम्वर्द्धन
साधना में संकल्प शक्ति की अभिवृद्धि
साधना का उद्देश्य और स्वरूप समझा जाय
परिजनों में से प्रत्येक को आमंत्रण और आह्वान
ध्यानयोग और उसकी पृष्ठभूमि
पंच तन्मात्राओं की साधनाएँ तथा सिद्धियाँ
हमारा चक्र संस्थान और उसकी सिद्धि सार्मथ्य
नवयुग आगमन की भविष्यवाणियाँ
उद्धत काम-कौतुक की विनाश लीला
अपनों से अपनी बात-इस वर्ष के बसन्त पर्व का विशेष उदबोधन
गायत्री विद्या के अमूल्य ग्रंथ रतन
हम निराट एकाकी (कविता) -लाखनसिंह भदौरिया
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ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुरवरेण्यम् भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात् ||
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Year 1976 - Version 1
Media: SCAN
Language: HINDI
परिजनों में से प्रत्येक को आमंत्रण और आह्वान
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Other Version of this book
Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...
Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
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क्षुद्रता अपनाने से मात्र हानि ही हानि है -संत बास्वानी
निष्काम सेवा बुद्धि सर्वोपरि साधन
ईश्वर उसकी अनुकम्पा एवं उपलब्धि
हम प्रगति पथ पर आगे ही बढ़ते चलें
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अपनों से अपनी बात-इस वर्ष के बसन्त पर्व का विशेष उदबोधन
गायत्री विद्या के अमूल्य ग्रंथ रतन
हम निराट एकाकी (कविता) -लाखनसिंह भदौरिया