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जीवन क्षेत्र को ज्योतिर्मय बनाने वाला आत्म-प्रकाश
आत्मबल ही सर्वतोमुखी समर्थता का मूल है
ईश्वर की दिव्य सत्ता जो श्रद्धा करने योग्य है
धर्म का उद्देश्य सदाचार एवं र्कत्तव्य पालन
स्वप्न और उनका रहस्यवाद
आत्मा को उत्कृष्ट वातावरण का लाभ दिया जाय
अतीन्द्रीय क्षमता में जैव ऊर्जा का योगदान
स्थूल से परे शरीर और भी है
अपने रहने की अपनी दुनिया आप बनायें
अतृष्ट आकांक्षाओं से पीड़ित भूत-प्रेत
मोह सीमा बद्ध होता है, प्रेम नहीं
प्रकृति के अनुदान अन्य प्राणियों को भी मिले है
मैत्री करुणा, मुदिता और उपेक्षा
अगले दिनों ब्रह्माण्ड भर के प्राणी एक होंगे
विचारों में क्रम-व्यवस्था एवं एकाग्रता बनाये रहें
मंत्र शक्ति के आधार स्रोत
अपनों से अपनी बात- युग निर्माण परिवार का पुनर्गठन
जलन-दर्द (कविता) -मंगल विजय
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Year 1977 - Version 1
Media: SCAN
Language: HINDI
जलन-दर्द (कविता) -मंगल विजय
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Type: TEXT
Language: HINDI
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Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
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जलन-दर्द (कविता) -मंगल विजय