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अध्यात्म का एकांगी पक्ष अहितकर
आत्म निर्माण से ही आत्म कल्याण संभव
क्या ईश्वर सचमुच ही मर गया
दिव्य शक्तियाँ भी मनुष्य के हस्तगत होंगी
मानवी आस्था आस्तिकता पर निर्भर है
ज्ञान की सार्थकता रद्धा में है
अन्तःकरण में प्रेम संवेदना उभरे
संगठन तो बनें पर सज्जनों के हों
विश्वज्ञान कोष मस्तिष्क
व्यक्तिव की प्रौढ़ता और प्रखरता
मंत्र विद्या की अकूत शक्ति
दृष्टिकोण एवं जीवन क्रम में संतुलन का समन्वय
नियामक सत्ता से सम्बद्ध न रहें तो
समता और एकता अपनाएँ
जीवन का माधुर्य सहकारिता में है
अपनी उपयोगिता बढ़ाने में संलग्न रहें
हम ब्रह्माण्ड में अकेल हैं क्या
शरीर के साथ मित्रवत् व्यवहार करें
बुढ़ापे का भी अपना आनन्द है
मानसिक तनाव से बचा जा सकता है
वसंत पर्व पर नये गायत्री नगर का शिलान्यास
अपनों से अपनी बात- आगामी वर्ष के लिए १४ न्यूनतम कत्त्रव्यों का निर्धारण
मानस मंथन करो (कविता) -माया वर्मा
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-
Year 1978 - Version 1
Media: SCAN
Language: HINDI
ज्ञान की सार्थकता रद्धा में है
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Other Version of this book
Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
...
Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...
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आत्म निर्माण से ही आत्म कल्याण संभव
क्या ईश्वर सचमुच ही मर गया
दिव्य शक्तियाँ भी मनुष्य के हस्तगत होंगी
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ज्ञान की सार्थकता रद्धा में है
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