Magazine - Year 1979 - August 1979
Media: TEXT
Language: HINDI
Language: HINDI
युग-निर्माताओं से (kavita)
Listen online
View page note
Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
यही घड़ी है निर्माताओ! नवयुग के निर्माण की।
आओ! नवयुग की प्रतिमा में करें प्रतिष्ठा प्राण की॥1॥
महाकाल ने परिवर्तन का क्रम फिर से दोहराया है।
इस धरती पर स्वर्ग-सृजन का संदेशा पहुंचाया है॥
नव-निर्माण को सके, ऐसा वातावरण जुटाया है।
निर्माताओं के प्राणों में फिर तूफान उठाया है॥
नहीं उपेक्षा करना है अब सृष्टा के आह्वान की॥2॥
सृजन-स्वेद की सरिताओं में फिर तूफान उठाना है।
जन-मानस की सृजन-सुधा का फिर से पान कराना है॥
युग-युग से इस तृषित-धरा की फिर से प्यास बुझाना है।
इस धरती पर हमें प्रीति की पावन-फसल उगाना है॥
मुखर हो रही नई ऋचाएं जन मंगल के गान की॥3॥
यही समय है मनुज-धरा को स्वर्ग समान बनायें हम।
और सुप्त-देवत्व मनुज का जन-जन बीज उगायें हम॥
मानवता का पाप पतन से पीछा चलो! छुड़ायें हम।
सृजन-शिखर पर नैतिकता की धर्म-ध्वजा फहरायें हम॥
नई कथाएं गढ़ें चलो! हम मानव के उत्थान की॥4॥
सद् प्रवृत्तियां मुखर हो सकें, मानव के आचारों में।
और श्रेष्ठ चिंतन की ही हो छाया मनुज-विचारों में॥
दया, क्षमा, करुणा, संवेदन हों मानव-उद्गारों में।
हो न कहीं नीलाम आस्था, श्रद्धा फिर बाजारों में॥
मानव में हो प्राण प्रतिष्ठा भावों के भगवान की॥5॥
-मंगल विजय
*समाप्त*