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प्रगति तो हो, पर उत्कृष्टता की दिशा में
अन्धकार अस्थिर , प्रकाश शाश्वत
ईश्वर की सत्ता और महत्ता
आत्मा का अस्तित्त्व, इन्कार नहीं जा सकता
मानवी सत्ता में सन्निहित, महान सम्भावनाएँ
सौन्दर्य बोध , अनुभूति पर आधारित
हमारी उपसना कितनी खरी- कितनी खोटी
मरणोत्तर जीवन की अनुभूतियाँ
अवगति का कारण अभाव नहीं, अनुत्साह
अभिमान का विशेषण
विक्षोभ मरने के बाद भी नहीं छोड़ता
विलक्षणताओं की विभूतियों का भण्डार मनुष्य
जाति, आयु और भोग -त्रिविध कर्म विपाक
परिस्थितियों के साथ, मनःस्थिति का ताल-मेल
जीवन का परम पुरुषार्थ - मुक्ति
गायत्री नगर-स्वर्ग और देवत्व के अवतरण की प्रयोगशाला
शेष मंजिल पूरी करने का नया उपक्रम
जीव-जन्तुओं में अतीन्द्रिय क्षमता
गायत्री नगर में देव परिवार होगा
कौन आावेंगे ? क्या करैंगे ?
यह सौभाग्य , हर विवेकवान को मिल सकता है
आत्मोत्कर्ष का अलभ्य अवसर
जिन्हें आना हो, समय रहते स्वीकृति प्राप्त करें
मनोभूमि का परिष्कार (कविता) -मंगल विजय
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-
Year 1980 - Version 1
Media: SCAN
Language: HINDI
मनोभूमि का परिष्कार (कविता) -मंगल विजय
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Other Version of this book
Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...
Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
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