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देवत्व पर विजय
यात्रा शून्य नगर से भविष्य नगर की
यह अलभ्य अवसर यों ही न चला जाय
कृतज्ञ नहीं वह मनुष्य नहीं
आत्मिक प्रगति का मूल आधार श्रद्धा
सारी पृथ्वी साबुन न बन जाय
संकटों के निराकरण में आस्तिकता का योगदान
अविज्ञात सृष्टि के अविज्ञत रहस्य
प्रकृति का गला न घोंट दिया जाय
श्यारीराणि विहाय जीर्णानि अन्यानि संयाति नवानि देही
तात्कालिक नहीं दूरवर्ती हितों को प्रश्रय मिले
दोष मत दीजिये, कैच ठीक करिये
ग्रहों के प्रभाव का लाभ उठायें
यन्त्र मानवों की गुलामी के लिए तैयार रहें
शिक्षा का आदर्श क्या होना चाहिए
भोजन ही नहीं शोधन भी
तीसरे विश्वयुद्ध की सर्वनाशी विभीषिका
मृत्यु पर्यन्त चिर युवा कैसे रहे?
वृधा अवस्ग्था अर्थात अम्रृत-आनन्द
अपनों से अपनी बात -समय की विषमता और जीवन्तों का उत्तरदायित्व
गायत्री चरण पीठें और नव सृजन की सम्भावनाए
स्वर गूंजे निर्माण के
परम्पराएं नहीं उनकी प्रासंगिकता महत्वपूर्ण है
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Year 1980 - Version 1
Media: SCAN
Language: HINDI
संकटों के निराकरण में आस्तिकता का योगदान
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Other Version of this book
Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...
Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
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यात्रा शून्य नगर से भविष्य नगर की
यह अलभ्य अवसर यों ही न चला जाय
कृतज्ञ नहीं वह मनुष्य नहीं
आत्मिक प्रगति का मूल आधार श्रद्धा
सारी पृथ्वी साबुन न बन जाय
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स्वर गूंजे निर्माण के
परम्पराएं नहीं उनकी प्रासंगिकता महत्वपूर्ण है