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ईश्वर का दशर्न और सम्भाषण
भीड़ का नीं न्याय का राज्य चले
वरिष्ठता और श्रेष्ठता सदैव अध्यात्म की ही
श्रद्धा संवद्धर्न से ही नाव पार लगेगी
स्वर की लहरियों से मानव उपचार
लोक चिनतन को उलटने का उपयुक्त अवसर
चरित्र निष्ठा ही सवोर्परि
प्रतिभा-पुरुषार्थ द्वारा विकतिस की जाती है
ईश्वर एक बुद्धिमत्तापूर्ण सत्ता का नाम
निन्दक नहीं समीक्षक बनें
भाव संवेदनाओं का भाण्डागार-कारण शरीर
सूयोर्पासना से आरोग्य की प्राप्ति
नियतिमता का शिक्षण प्रकृति की यपाठशाला में
आप जैसे हैं वैसे ही रहें
प्राणशक्ति से शारीरिक और मानसिक उपचार
विशेष लेखमाला-समय ही 'युगधर्म'
अवसर प्रमाद बरतने का है नहीं
अभूतपूवर् समय जिसे चूका न जाय
समयदान महादान
दृष्टिकोण बदले तो परिवतर्न में देर न लगे
प्रभावोत्पादक समथर्ता
प्रामाणिकता प्रखरता ही सवर्त्र अभीष्ट
समय का एक बड़ा अंश नवसृजन में लगे
ext:27
ext:29
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ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुरवरेण्यम् भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात् ||
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Year 1989 - Version 1
Media: SCAN
Language: HINDI
दृष्टिकोण बदले तो परिवतर्न में देर न लगे
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Other Version of this book
Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...
Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
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समयदान महादान
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प्रामाणिकता प्रखरता ही सवर्त्र अभीष्ट
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