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हम अपने भीतर झाँकना सीखें
विशेष लेख- इस आपत्तिकाल में 'अपनों' की ढूँढ़ खोज
सुख का मूल पंचशील
सच क्या है? चेतना या पदार्थ?
साध्य, साधन और सिद्धि
चलें काल से परे, समझें महाकाल को
यंत्रों का विज्ञान रहस्यमय भी, निराला भी
परोक्ष-जगत् से अनुदान बाँटते हमारे पितर
कठिनाइयों से डरिये नहीं, जुझिये
अंतजर्गत में प्रवेश करें, सत्य को पायें
तंत्र शास्त्र उपयोगी भी, विज्ञान सम्मत भी
षोडश संस्कारों के मूल में निहित तत्त्वज्ञान
अपनी समस्याएँ आप सुलझायें
धर्म श्रद्धा विवेक सम्मत ही वरेण्य
साधना का मूल है जाग्रत् भाव-संवदेना
जिंदा अध्यात्मवाद ही रहने वाला है
गायत्री उपासना विज्ञान की दृष्टि में
जड़ चेतन गुण-दोषमय
सृष्टि की उत्पत्ति विद्युत् से हुई या नाद से?
यथार्थ को समझें, शब्दों में न उलझें
सफलता तक पहुँचने में कठिनायाँ भी है
अ- नवयुग का भवन बना वसंती, ब- साधनानुभूति
परम पूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी- (गुरुपूणमा पर्व- १९८६) देवत्व विकासित करें, कालनेमि न बनें
राष्ट्र के आथक सांस्कृतिक नवजागरण हेतु शान्तिकुञ्ज की अभिनव शिक्षण सत्र योजना
परम वंदनीया माताजी पर विशेष-सेवा साधना की यह तड़प हममे भी आ जाय
अपनों से अपनी बात- अब यह पुकार अनसुनी न रहने पाये, मूर्च्छना व व्यामोह कहीं श्रेयार्थी बनने से हमें वंचित न कर दे
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-
Year 1995 - Version 1
Media: SCAN
Language: HINDI
धर्म श्रद्धा विवेक सम्मत ही वरेण्य
First
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30
Last
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Other Version of this book
Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
...
Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...
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