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प्रज्ञावतार की पुण्यवेला
किसी भ्रान्ति में न रहें, क्रान्ति होकर रहेगी
नादब्रह्म जिनकी सिद्धि थी
युगसंधि की विशिष्ट अवसर- परिवर्तन का महापर्व
भाव संवेदना के जागरण की बात अब वैज्ञानिकों के मुख से सुनें
युग परिवर्तन का ठीक यही उपयुक्त समय
यह दुनिया बन रही है एक पागलखाना
सृष्टिकर्म में स्रष्टा की अवतरण प्रक्रिया
कद नहीं, हमारे आदर्श ऊँचे बनें
युगावतार-प्रज्ञावतार
यदा यदा ही धमर्स्य........
चलें बर्बर समाज से शान्ति-करुणा के साम्राज्य की ओर
युगसंधि का आरम्भ, मध्य और अन्त प्रसिद्ध ज्योतिवदों की दृष्टि में
जिनकी हर श्वास राष्ट्र की स्वतंत्रता हेतु थी
मूधर्न्यों के अभिमत एवं अतंग्रर्ही प्रभावों की प्रतिक्रिया
सबसे प्यारा, सबसे न्यारा, भारत वर्ष हमारा
मनुष्य जाति पर गहराते संकट के बादल
ब्राह्मणत्व की कसौटी पर वे खरे उतरे
वृक्ष-वनस्पतियों में भी होती है संवेदनशीलता
आस्था संकट की विभीषिका और उससे निवृत्ति
जहाँ बाँस के फूल विभीषिका का संकेत बनकर आते हैं
अपने आप से पूछिए ये तीन प्रश्न्न
युद्धलिप्सा कितनी घातक हो सकती है
देते रहने का आनन्द ही कुछ और है
समस्त समस्याओं के समाधान का सुनिश्चित आधार
रहस्यमय वह हवेली और विचित्रता भरी वह रात्रि
अंततः एक दुर्योग टला
एक जाग्रत् वीर बलिदानी
परिवार में स्वर्ग जैसा वातावरण कैसे?
अपने आपको स्वयं ही साधिए
कृत्रिम जीवनशैली जन्म देती है कैंसर को
प्रज्ञावतार का महाप्रयास
कल्पवृक्षों की नई पौध उग रही है
शरीर से कुरूप भले ही हों, चरित्र सुन्दर होना चाहिए
भारतीय तत्त्वदर्शन के अध्येता महामनीषी अलबेरुनी
युगदेवता की दो प्रत्यक्ष प्रेरणाएँ
संघर्ष, सतत संघर्ष ही सफलता का मूलमंत्र
युगशक्ति का अवतरण-नवयुग के अभ्युदय के लिए
संक्रान्ति काल एवं इष्ट का वरण
पुनप्रर्काशित लेखमाला-१ महामानवों के अवतरण की नयी पृष्ठभूमि
विशिष्ट प्रयोजन के लिए विशिष्ट आत्माओं की विशिष्ट खोज
पुनप्रर्काशित लेखमाला-२ धमर्श्रद्धा का सृजनात्मक नियोजन हो
पुनप्रर्काशित लेखमाला-३ सुरक्षा साधना का समर्थ ब्रह्मास्त्र
युग परिवर्तन में अन्तरिक्षविज्ञान का उपयोग
परम पूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी- धर्मग्रन्थ हमें क्या शिक्षण देते हैं?
परम पूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी- प्रज्ञावतार की सत्ता का आश्वासन
अपनों से अपनी बात-१ महाकुम्भ की पावनवेला में आगामी विशिष्ट सत्रों की शृंखला
अपनों से अपनी बात-२ भावी आयोजन अब इस रूप में संभव है
युग निमार्णी हवा (कविता) -मंगल विजय
अपनों से अपनी बात-३ नयी भूमि में क्या बनने जा रहा है, क्या संकल्पना है?
माटी का सन्देशा (कविता) -बलराम सिंह परिहार
अवतार के प्रकटीकरण के पर्याप्त प्रमाण
श्रद्धा और विवेक का संगम ही करेगा युगपरिवर्तन
नवयुग का आधार-श्रद्धा-संवर्द्दान्
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Year 1998 - Version 1
Media: SCAN
Language: HINDI
युगशक्ति का अवतरण-नवयुग के अभ्युदय के लिए
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Language: HINDI
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Version 1
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युगसंधि की विशिष्ट अवसर- परिवर्तन का महापर्व
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कद नहीं, हमारे आदर्श ऊँचे बनें
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चलें बर्बर समाज से शान्ति-करुणा के साम्राज्य की ओर
युगसंधि का आरम्भ, मध्य और अन्त प्रसिद्ध ज्योतिवदों की दृष्टि में
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मूधर्न्यों के अभिमत एवं अतंग्रर्ही प्रभावों की प्रतिक्रिया
सबसे प्यारा, सबसे न्यारा, भारत वर्ष हमारा
मनुष्य जाति पर गहराते संकट के बादल
ब्राह्मणत्व की कसौटी पर वे खरे उतरे
वृक्ष-वनस्पतियों में भी होती है संवेदनशीलता
आस्था संकट की विभीषिका और उससे निवृत्ति
जहाँ बाँस के फूल विभीषिका का संकेत बनकर आते हैं
अपने आप से पूछिए ये तीन प्रश्न्न
युद्धलिप्सा कितनी घातक हो सकती है
देते रहने का आनन्द ही कुछ और है
समस्त समस्याओं के समाधान का सुनिश्चित आधार
रहस्यमय वह हवेली और विचित्रता भरी वह रात्रि
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शरीर से कुरूप भले ही हों, चरित्र सुन्दर होना चाहिए
भारतीय तत्त्वदर्शन के अध्येता महामनीषी अलबेरुनी
युगदेवता की दो प्रत्यक्ष प्रेरणाएँ
संघर्ष, सतत संघर्ष ही सफलता का मूलमंत्र
युगशक्ति का अवतरण-नवयुग के अभ्युदय के लिए
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विशिष्ट प्रयोजन के लिए विशिष्ट आत्माओं की विशिष्ट खोज
पुनप्रर्काशित लेखमाला-२ धमर्श्रद्धा का सृजनात्मक नियोजन हो
पुनप्रर्काशित लेखमाला-३ सुरक्षा साधना का समर्थ ब्रह्मास्त्र
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परम पूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी- धर्मग्रन्थ हमें क्या शिक्षण देते हैं?
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अपनों से अपनी बात-३ नयी भूमि में क्या बनने जा रहा है, क्या संकल्पना है?
माटी का सन्देशा (कविता) -बलराम सिंह परिहार
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श्रद्धा और विवेक का संगम ही करेगा युगपरिवर्तन
नवयुग का आधार-श्रद्धा-संवर्द्दान्