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किसी भ्रान्ति में न रहें, क्रान्ति होकर रहेगी
नादब्रह्म जिनकी सिद्धि थी
भाव संवेदना के जागरण की बात अब वैज्ञानिकों के मुख से सुनें
यह दुनिया बन रही है एक पागलखाना
कद नहीं, हमारे आदर्श ऊँचे बनें
चलें बबर्र समाज से शान्ति-करुणा के साम्राज्य की ओर
जिनकी हर श्वास राष्ट्र की स्वतंत्रता हेतु थी
सबसे प्यारा, सबसे न्यारा, भारत वर्ष हमारा
ब्राह्मणत्व की कसौटी पर वे खरे उतरे
वृक्ष-वनस्पतियों में भी होती है संवेदनशीलता
जहाँ बाँस के फूल विभीषिका का संकेत बनकर आते हैं
अपने आप से पूछिए ये तीन प्रश्न्न
देते रहने का आनन्द ही कुछ और है
रहस्यमय वह हवेली और विचित्रता भरी वह रात्रि
अंततः एक दुयोर्ग टला
एक जाग्रत् वीर बलिदानी
परिवार में स्वर्ग जैसा वातावरण कैसे?
अपने आपको स्वयं ही साधिए
कृत्रिम जीवनशैली जन्म देती है कैंसर को
शरीर से कुरूप भले ही हों, चरित्र सुन्दर होना चाहिए
भारतीय तत्त्वदशर्न के अध्येता महामनीषी अलबेरुनी
संघर्ष, सतत संघर्ष ही सफलता का मूलमंत्र
पुनप्रर्काशित लेखमाला-१ महामानवों के अवतरण की नयी पृष्ठभूमि
पुनप्रर्काशित लेखमाला-२ धमर्श्रद्धा का सृजनात्मक नियोजन हो
पुनप्रर्काशित लेखमाला-३ सुरक्षा साधना का समर्थ ब्रह्मास्त्र
परम पूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी- धमर्ग्रन्थ हमें क्या शिक्षण देते हैं?
युग निमार्णी हवा (कविता) -मंगल विजय
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-
Year 1998 - Version 1
Media: SCAN
Language: HINDI
युग निमार्णी हवा (कविता) -मंगल विजय
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Other Version of this book
Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
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Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...
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