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कठिनाइयों से डरो मत , प्रयासरत रहो
गुरुद्रोह की परिणती
एक शाश्वत साँस्कृतिक प्रतीक है- कमल
गुरु ही सच्चा रक्षक
हिमालय से जुड़े 'हिममानव' का अस्तित्त्व वास्तव में है क्या
धर्म किए - धन न घटे
सिद्ध हो गया कि ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति नाद से है
अहंकार विमूढात्मा कर्ताहमिति मन्यते
रहस्यों और तिलिस्मों से भरी हुई अपनी दुनिया
चेतना का क्रीड़ा - कल्लोल - स्वप्नदर्शन
सौंदर्य प्रसाधन सुन्दर नहीं कुरुप बनाते हैं
कृतघ्न की भी रक्षा करती है गुरुसत्ता
मणि की तरह निर्मल - उज्ज्वल बनाती है मणिपूरित चक्र की साधना
अगली सदी समन्वित समग्र व्यक्तित्त्व के निर्माण की होगी
युगपुरुष की लेखनी से ........
निरंकार ने लिया साकार का रुप
ऊर्जा का आभाव ही थकान है
देने वाला और काई नहीं , अल्लाह ही है
आपका स्वास्थ्य : आर्युवेद के मतानुसार - २
कैंसर जैसी महाव्याधि का उपचार भी उपवास
एक और पन्नाधाय
महाविनाश समीप लाती महामारी
युगगीता - १, गीता सुगीता कर्तव्या किमन्यैः शास्त्रविस्तरैः
अखण्ड- ज्योति आज से पचास वर्ष पूर्व अखण्ड- ज्योति आज से पचास वर्ष पूर्व
भागीरथी पुरुषार्थ की वेला है यह
परम पूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी
अपनों से अपनी बात
संक्रान्ति का समय (कविता) -शचीन्द्र भटनागर
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-
Year 1999 - Version 1
Media: SCAN
Language: HINDI
संक्रान्ति का समय (कविता) -शचीन्द्र भटनागर
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Other Version of this book
Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...
Version 1
Type: SCAN
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