Magazine - Year 2003 - Version 2
Media: TEXT
Language: HINDI
Language: HINDI
ईमानदारी (Kahani)
Listen online
View page note
Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
बेंजामिन फ्रैंकलिन ने अपने मित्र की मेज पर बीस डॉलर की सोने की गिन्नी रखते हुए कहा, आपने बिगड़े समय में मेरी जो सहायता की थी, उसके लिए मैं आभारी हूँ। मैं अपने प्रारंभिक दिनों में एक मुद्रणालय में समाचारपत्र छापने का काम करता था। उस समय अचानक बीमार पड़ जाने के कारण मैं आपसे बीस डॉलर ले गया था। अब उस समाचारपत्र का संपादन और प्रकाशन मेरे ही द्वारा होता है। ग्राहकों की संख्या भी बढ़ गई है। अतः अब इस स्थिति में हूँ कि आपके द्वारा उधार प्राप्त धनराशि आसानी से वापस कर दूँ।
धनी व्यक्ति को अब याद आया कि उसने वास्तव में सहायता की थी, पर उसकी कहीं लिखा-पढ़ी न थी। उसने कहा, हाँ! मुझे ध्यान आया, पर लौटाने की बात तय नहीं हुई थी। आप उस समय परेशानी में थे। आपने कहा तो मैंने आपकी सहायता कर दी। यह तो मानव का सहज धर्म है कि आपत्तिग्रस्त व्यक्ति की यथाशक्ति सहायता करे। इस सिक्के को आप अपने पास ही रखो। कभी कोई व्यक्ति आपके पास आएगा, जिसे धन की वैसी ही आवश्यकता होगी, जैसी एक दिन आपको थी, ऐसी स्थिति में आप उसकी सहायता करना।
यदि वह आपकी तरह ईमानदार होगा तो आर्थिक स्थिति सुधर जाने पर धनराशि वापस करने आएगा। उस समय आप यही कहना कि उस गिन्नी को यह अपने पास रखे, जब कोई जरूरतमंद व्यक्ति आए तो उसकी सहायता हेतु दे दे।
यही हुआ। फ्रैंकलिन वह गिन्नी अपने साथ ले गया और उसने दूसरे व्यक्ति को दे दी। अब तक वे बीस डॉलर अमेरिका में किसी-न-किसी की आवश्यकता को पूर्ण करते घूम रहे हैं। वे जिस किसी के पास जाते हैं, उसका अपना भला तो होता है, दूसरों को भी सौजन्य की अद्भुत प्रेरणा मिलती है।