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श्रीमद्भगवद्गीता
क्या दिखाई दे रहा है आपको बदलाव
सवर्समथर् आत्मिकी
उपासना क्यों, किसलिए
रंगों का रंगबिरंगा ज्ञान-विज्ञान
परोक्ष के झरोखे से देखें रहस्यमयी दुनिया
भक्तिगाथा-२३ : व्रज का प्रेम तो भक्ति साधना की पराकाष्ठा है
वैज्ञानिक भी अब चले चेतनसत्ता की खोज में
'धीमहि' अथार्त् ध्यान-ध्यारणा
नवाणर् मन्त्र एवं गायत्री महामन्त्र की एकरूपता
सवोर्परि है काल निमित्त बन जाओ पर टकराओ मत
प्राणों के रहस्य को जानें, सदा सक्रिय बने रहें
सात्त्विक एवं पोषक आहार ही ग्रहण करें
संवेदनहीनता से जन्मा आत्मघाती संकट
करना होगा पयार्वरण संस्कृति का सम्मान
आयुवेर्द-५५ : आहार हमारा कैसा हो ताकि हम स्वस्थ रहें
कैसे बचें अशुभ कमोर्: व उनके प्रभाव से
पराचेतना को धारण किया माता अंजनी ने
योगचिकित्सा-१२ : कब्ज की यौगिक उपचार प्रक्रिया
चेतना की शिखर यात्रा-६७ : प्रतीक्षा में खड़ा भविष्य
दो ही संपत्ति, दो ही विभूति-योग एवं तप
युगगीता-९५ : प्रभु का स्मरण कर अहंभाव से मुक्त हों, यही है मृत्यु
दूरस्थ शिक्षा योजना लाखों को लाभान्वित करेगी
कुछ आप कहें कुछ हम
इस प्राण प्रवाह को अविरल बहने दें
युगानुरूप परिवार कविता
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-
Year 2007 - Version 1
Media: SCAN
Language: HINDI
दो ही संपत्ति, दो ही विभूति-योग एवं तप
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Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
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