हमारी वसीयत और विरासत (भाग 124): तपश्चर्...

तपश्चर्या के मौलिक सिद्धांत हैं— संयम और सदुपयोग। इंद्रियसंयम से— पेट ठीक रहने से स्वास्थ्य नहीं बिगड़ता। ब्रह्मचर्यपालन से मनोबल का भंडार चुकने नहीं पाता। अर्थसंयम से— नीति की कमाई से औसत भारतीय स्तर का निर्वाह करना पड़ता है; फलतः न दरिद्रता फटकती है और न बेईमानी की आवश्यकता पड़ती है। समयसंयम से व्यस्...

Nov. 11, 2025, 10:48 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 123): तपश्चर्...

भारतीय स्वाधीनता-संग्राम के दिनों महर्षि रमण का मौन तप चलता रहा। इसके अतिरिक्त भी हिमालय में अनेक उच्चस्तरीय आत्माओं की विशिष्ट तपश्चर्याएँ इसी निमित्त चलीं। राजनेताओं द्वारा संचालित आंदोलनों को सफल बनाने में इस अदृश्य सूत्र-संचालन का कितना बड़ा योगदान रहा, इसका स्थूलदृष्टि से अनुमान न लग सकेगा, किंत...

Nov. 10, 2025, 10:52 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 122): तपश्चर...

अरविंद ने विलायत से लौटते ही अँगरेजों को भगाने के लिए जो उपाय संभव थे, वे सभी किए। पर बात बनती न दिखाई पड़ी। राजाओं को संगठित करके, विद्यार्थियों की सेना बनाकर, वनपार्टी गठित करके उनने देख लिया कि इतनी सशक्त सरकार के सामने यह छुट-फुट प्रयत्न सफल न हो सकेंगे। इसके लिए समान स्तर की सामर्थ्य, टक्कर लेने...

Nov. 8, 2025, 9:55 a.m.

कौशाम्बी जनपद में 16 केंद्रों पर संपन्न ...

उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी जनपद में अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज की ओर से आयोजित होने वाली भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा शुक्रवार को सोलह केंद्रों पर संपन्न हुई। परीक्षा में पांचवीं से बारहवीं कक्षा तक के लगभग एक हजार से अधिक छात्र छात्राओं ने प्रतिभाग किया। ओएमआर सीट पर परीक्षा देकर बच्चों ने ...

Nov. 7, 2025, 7:43 p.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 121): चौथा और...

‘‘इसके लिए जो करना होगा, समय-समय पर बताते रहेंगे। योजना को असफल बनाने के लिए— इस शरीर को समाप्त करने के लिए जो दानवी प्रहार होंगे, उससे बचाते चलेंगे। पूर्व में हुए आसुरी आक्रमण की पुनरावृत्ति कभी भी, किसी भी रूप में सज्जनों-परिजनों पर प्रहार आदि के रूप में हो सकती है। पहले की तरह सबमें हमारा संरक्षण...

Nov. 7, 2025, 9:54 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 120): चौथा और...

बात जो विवेचना स्तर की चल रही थी, सो समाप्त हो गई और सार-संकेत के रूप में जो करना था, सो कहा जाने लगा। ‘‘तुम्हें एक से पाँच बनना है। पाँच रामदूतों की तरह, पाँच पांडवों की तरह काम पाँच तरह से करने हैं, इसलिए इसी शरीर को पाँच बनाना है। एक पेड़ पर पाँच पक्षी रह सकते हैं। तुम अपने को पाँच बना लो। इसे ‘सू...

Nov. 6, 2025, 11:29 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 119): चौथा और...

“इसके लिए तुम्हें एक से पाँच बनकर पाँच मोर्चों पर लड़ना पड़ेगा। कुंती के समान अपनी एकाकी सत्ता को निचोड़कर पाँच देवपुत्रों को जन्म देना होगा, जिन्हें भिन्न-भिन्न मोर्चों पर भिन्न-भिन्न भूमिका प्रस्तुत करनी पड़ेंगी।’’ मैंने बात के बीच में विक्षेप करते हुए कहा— ‘‘यह तो आपने परिस्थितियों की बात कही। इतना स...

Nov. 5, 2025, 10 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 118): चौथा और...

गुरुदेव ने कहा— ‘‘अब तक जो बताया और कराया गया है, वह नितांत स्थानीय था और सामान्य भी। ऐसा जिसे वरिष्ठ मानव कर सकते हैं। भूतकाल में करते भी रहे हैं। तुम अगला काम सँभालोगे, तो यह सारे कार्य दूसरे तुम्हारे अनुवर्ती लोग आसानी से करते रहेंगे। जो प्रथम कदम बढ़ाता है, उसे अग्रणी होने का श्रेय मिलता है। पीछे...

Nov. 4, 2025, 10:37 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 117): चौथा औ...

चौथी बार गत वर्ष पुनः हमें एक सप्ताह के लिए हिमालय बुलाया गया। संदेश पूर्ववत् संदेश रूप में आया। आज्ञा के परिपालन में विलंब कहाँ होना था। हमारा शरीर सौंपे हुए कार्यक्रमों में खटता रहा है, किंतु मन सदैव दुर्गम हिमालय में अपने गुरु के पास रहा है। कहने में संकोच होता है, पर प्रतीत ऐसा भी होता है कि गुर...

Nov. 3, 2025, 10:54 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 116): हमारी प...

पिछले दिनों बार-बार हिमालय जाने और एकांत साधना करने का निर्देश निबाहना पड़ा। इसमें क्या देखा? इसकी जिज्ञासा बड़ी आतुरतापूर्वक सभी करते हैं। उनका तात्पर्य, किन्हीं यक्ष, गंधर्व, राक्षस, वेताल, सिद्धपुरुष से भेंट-वार्त्ता रही हो। उनकी उछल-कूद देखी हो। अदृश्य और प्रकट होने वाले कुछ जादुई गुटके लिए हों। इ...

Nov. 1, 2025, 11:49 a.m.

देव संस्कृति विश्वविद्यालय ने राज्य स्तर...

हरिद्वार। उत्तराखंड राज्य के 25वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित राज्य स्तरीय विश्वविद्यालयीय नृत्य प्रतियोगिता में देव संस्कृति विश्वविद्यालय की प्रतिभाशाली छात्रा स्वस्तिका जायसवाल ने शास्त्रीय नृत्य (एकल) श्रेणी में प्रथम स्थान (Winner of State) प्राप्त कर विश्वविद्यालय का नाम गौरवान्वित कि...

Nov. 11, 2025, 9:36 a.m.

Education is not mere information, it is...

On the occasion of National Education Day, we pay tribute to all educators and learners who strive to make education a means of inner growth and societal upliftment. Let us dedicate ourselves to building an education system rooted in wisdom, compassion, and ethical living, where learning becomes a p...

Nov. 11, 2025, 9:30 a.m.

शांतिकुंज महिला मंडल अध्यक्षा श्रीमती शे...

​हापुड़, उत्तर प्रदेश। ​दिनांक 9 नवंबर 2025 को शांतिकुंज हरिद्वार की वरिष्ठ प्रतिनिधि, शांतिकुंज महिला मंडल एवं गायत्री विद्यापीठ व्यवस्था मंडल की अध्यक्षा आदरणीया श्रीमती शेफाली पंड्या दीदी का उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले में स्थित आदर्श ग्राम शौलाना में आगमन हुआ। ग्राम वासियों ने आदरणीया दीदी का अत...

Nov. 10, 2025, 2:18 p.m.

असम की तपोभूमि अत्रिघाट में आध्यात्मिक उ...

अत्रिघाट चाय बागान, उदालगुरी, असम। 09 नवम्बर, 2025 गुवाहाटी के पावन अत्रिघाट चाय बागान क्षेत्र में आयोजित 108 कुण्डीय विराट गायत्री महायज्ञ की भव्य पूर्णाहुति समारोह में अखिल विश्व गायत्री परिवार, शांतिकुंज हरिद्वार के प्रतिनिधि एवं देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या ...

Nov. 10, 2025, 11:20 a.m.

Disha Club (Psychological, Spiritual & C...

Under the guidance of Hon. Dr. Chinmay Pandya Ji ( Pro Vice Chancellor ) a student-led initiative by the Dev Sanskriti Student’s Club, this special session focused on understanding stress, its types, and practical techniques to manage it effectively through spiritual and psychological tools. The ses...

Nov. 10, 2025, 10:58 a.m.

देवभूमि उत्तराखण्ड: अध्यात्म, संस्कृति औ...

विराट हिमालय की गोद में स्थित उत्तराखण्ड, अध्यात्म, संस्कृति और प्रकृति का अद्भुत संगम है। यह भूमि ऋषि-मुनियों की तपोस्थली, गंगा-यमुना की जननी और सनातन संस्कृति की जीवंत धरोहर रही है। राज्य स्थापना दिवस का यह पावन अवसर हमें अपने महान विरासत, लोकसंस्कृति और पर्यावरणीय संतुलन के संरक्षण का संकल्प दिला...

Nov. 10, 2025, 10:50 a.m.

गुवाहाटी रेलवे स्टेशन पर आदरणीय डॉ. चिन्...

गुवाहाटी (असम)। 09 नवम्बर 2025 अखिल विश्व गायत्री परिवार, शांतिकुंज हरिद्वार के प्रतिनिधि एवं देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी अपने दो दिवसीय असम–अरुणाचल प्रवास के क्रम में आज गुवाहाटी पधारे। इस अवसर पर गुवाहाटी रेलवे स्टेशन पर गुवाहाटी एवं आस–पास के वि...

Nov. 10, 2025, 10:38 a.m.

अरुणाचल प्रदेश के तेजू में नव चेतना जागर...

तेजू (अरुणाचल प्रदेश)। 08 नवम्बर 2025 अखिल विश्व गायत्री परिवार, शांतिकुंज हरिद्वार के तत्वावधान में तेजू, अरुणाचल प्रदेश में आयोजित नव चेतना जागरण गायत्री महायज्ञ का समापन दीपयज्ञ समारोह के साथ भव्यता और श्रद्धा के वातावरण में संपन्न हुआ। इस पावन अवसर पर देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार के प्रत...

Nov. 10, 2025, 10:08 a.m.

असम-अरुणाचल प्रवास : साधना, श्रद्धा और स...

तिनसुकिया एवं सुनपुरा (असम–अरुणाचल प्रदेश)।। 08 नवम्बर 2025 देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति एवं अखिल विश्व गायत्री परिवार, शांतिकुंज हरिद्वार के युवा प्रतिनिधि, आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी ने अपने दो दिवसीय असम–अरुणाचल प्रवास के क्रम में तिनसुकिया एवं सुनपुरा स्थित गायत्री शक्तिपीठों का दि...

Nov. 10, 2025, 9:42 a.m.

असम के परिजनों संग आत्मीय संवाद एवं युगन...

डिब्रूगढ़ (असम)। 08 नवम्बर 2025 असम की धरती पर पहुँचने के पश्चात देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति एवं अखिल विश्व गायत्री परिवार, शांतिकुंज हरिद्वार के प्रतिनिधि, आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी ने डिब्रूगढ़ में स्थानीय गायत्री परिजनों से स्नेहपूर्ण भेंट की। यह मुलाकात एक जनसंपर्क कार्यक्रम के र...

Nov. 8, 2025, 5:10 p.m.
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First Meeting With Guru

At the age of 15- Self-realization on Basant Panchanmi Parva 1926 at Anwalkheda (Agra, UP, India), with darshan and guidance from Swami Sarveshwaranandaji.

Akhand Deep

More than 2400 crore Gayatri Mantra have been chanted so far in its presence. Just by taking a glimpse of this eternal flame, people receive divine inspirations and inner strength.

Akhand Jyoti Magazine

It was started in 1938 by Pt. Shriram Sharma Acharya. The main objective of the magazine is to promote scientific spirituality and the religion of 21st century, that is, scientific religion.

Gayatri Mantra

The effect of sincere and steadfast Gayatri Sadhana is swift and miraculous in purifying, harmonizing and steadying the mind and thus establishing unshakable inner peace and a sense of joy filled calm even in the face of grave trials and tribulations in the outer life of the Sadhak.

डॉ. शंकर दयाल शर्मा (पूर्व राष्ट्रपति)

आचार्य जी ने सिद्धांत और साधना को आधुनिक युग के अनुकूल तर्क व शब्द देकर सामाजिक परिवर्तन का जो मार्ग दिखाया है, उसके लिए आने वाली पीढ़ियाँ युगों-युगों तक कृतज्ञ रहेंगी।