हमारी वसीयत और विरासत (भाग 87): तीसरी ह...

मथुरा का कार्य सुचारु रूप से चल पड़ने के उपरांत हिमालय से तीसरा बुलावा आया, जिसमें अगले चौथे कदम को उठाए जाने का संकेत था। समय भी काफी हो गया था। इस बार कार्य का दबाव अत्यधिक रहा और सफलता के साथ-साथ थकान बढ़ती गई थी। ऐसी परिस्थितियों में बैटरी चार्ज करने का यह निमंत्रण हमारे लिए बहुत ही उत्साहवर्द्धक ...

Sept. 17, 2025, 10:02 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 86): आराधना, ...

लोक-साधना का महत्त्व तब घटता है, जब उसके बदले नामवरी लूटने की ललक होती है। यह तो अखबारों में इश्तिहार छपाकर विज्ञापनबाजी करने जैसा व्यवसाय है। एहसान जताने और बदला चाहने से भी पुण्यफल नष्ट होता है। दोस्तों के दबाव से किसी भी काम के लिए चंदा दे बैठने से भी दान की भावना पूर्ण नहीं होती। देखा यह जाना चा...

Sept. 16, 2025, 10:15 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 85): आराधना, ...

बाजरे का— मक्का का एक दाना सौ दाने होकर पकता है। यह उदाहरण हमने अपनी संचित संपदा के उत्सर्ग करने जैसा दुस्साहस करने में देखा। जो था, वह परिवार के लिए उतनी ही मात्रा में— उतनी ही अवधि तक दिया, जब तक कि वे लोग हाथ-पैरों से कमाने-खाने लायक नहीं बन गए। उत्तराधिकार में समर्थ संतान हेतु संपदा छोड़ मरना— अप...

Sept. 15, 2025, 10:14 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 84): आराधना, ...

गुरुदेव के निर्देशन में अपनी चारों ही संपदाओं को भगवान के चरणों में अर्पित करने का निश्चय किया। (1) शारीरिक श्रम, (2) मानसिक श्रम, (3) भाव-संवेदनाएँ, (4) पूर्वजों का उपार्जित धन। अपना कमाया तो कुछ था ही नहीं। चारों को अनन्य निष्ठा के साथ निर्धारित लक्ष्य के लिए लगाते चले आए हैं। फलतः सचमुच ही वे सौ ...

Sept. 14, 2025, 11:45 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 83): आराधना, ...

इतने पर भी वे सेवाएँ महत्त्वपूर्ण हैं। अब तक प्रज्ञा परिवार से प्रायः 24 लाख से भी अधिक व्यक्ति संबंधित हैं। उनमें से जो मात्र सिद्धांतों, आदर्शों से प्रभावित होकर इस ओर आकर्षित हुए हैं, वे कम हैं। संख्या उनकी ज्यादा है, जिनने व्यक्तिगत जीवन में प्रकाश, दुलार, सहयोग, परामर्श एवं अनुदान प्राप्त किया ...

Sept. 12, 2025, 10:08 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 82): आराधना, ...

सर्वव्यापी ईश्वर निराकार ही हो सकता है। उसे परमात्मा कहा गया है। परमात्मा अर्थात आत्माओं का परम समुच्चय। इसे आदर्शों का एकाकार कहने में भी हर्ज नहीं। यही विराट ब्रह्म या विराट विश्व है। कृष्ण ने अर्जुन और यशोदा को अपने इसी रूप का दर्शन कराया था। राम ने कौशल्या तथा काकभुशुंडि को इसी रूप में, झलक के र...

Sept. 11, 2025, 10:22 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 81): आराधना, ...

गंगा, यमुना, सरस्वती के मिलने से त्रिवेणी संगम बनने और उसमें स्नान करने वाले का कायाकल्प होने की बात कही गई है। बगुले का हंस और कौए का कोयल आकृति में बदल जाना तो संभव नहीं, पर इस आधार पर विनिर्मित हुई अध्यात्मधारा का अवगाहन करने से मनुष्य का अंतरंग और बहिरंग जीवन असाधारण रूप से बदल सकता है, यह निश्च...

Sept. 10, 2025, 10:17 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 80): जीवन-साध...

तीसरा पक्ष अहंता का है। शेखीखोरी, बड़प्पन, ठाठ-बाट, सज-धज, फैशन आदि में लोग ढेरों समय और धन खरच करते हैं। निजी जीवन तथा परिवार में नम्रता और सादगी का ऐसा ब्राह्मणोचित माहौल बनाए रखा गया कि अहंकार के प्रदर्शन की कोई गुंजाइश नहीं थी। हाथ से घरेलू काम करने की आदत अपनाई गई। माताजी ने मुद्दतों हाथ से चक्क...

Sept. 8, 2025, 10:02 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 79): जीवन-साध...

देखा गया है कि अपराध प्रायः आर्थिक प्रलोभनों या आवश्यकताओं के कारण होते हैं। इसलिए उनकी जड़ें काटने के लिए औसत भारतीय स्तर का जीवनयापन अपनाने का व्रत लिया गया। अपनी निज की कमाई कितनी ही क्यों न हो; भले ही वह ईमानदारी या परिश्रम की क्यों न हो, पर उसमें से अपने लिए— परिवार के लिए खरच देशी हिसाब से किया...

Sept. 4, 2025, 11:12 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 78): जीवन-स...

यह दैवी उपलब्धि किस प्रकार संभव हुई। इसका एक ही उत्तर है— पात्रता का अभिवर्द्धन। उसी का नाम जीवन-साधना है। उपासना के साथ उसका अनन्य एवं घनिष्ठ संबंध है। बिजली धातु में दौड़ती है, लकड़ी में नहीं। आग सूखे को जलाती है, गीले को नहीं। माता बच्चे को गोदी तब लेती है, जब वह साफ-सुथरा हो। मल-मूत्र से सना हो तो...

Sept. 2, 2025, 9:50 a.m.

Valediction Ceremony – International Con...

The Valediction Ceremony of the International Conference at Dev Sanskriti Vishwavidyalaya, Haridwar, marked a powerful conclusion to a day of deep reflection and futuristic dialogue. The session was graced by Respected Dr. Chinmay Pandya Ji, Pro Vice Chancellor of DSVV and Youth Representative of Al...

Sept. 17, 2025, 3:17 p.m.

‘Gyan Kumbh’ of AI: Faith & future colli...

‘Gyan Kumbh’ of AI: Faith & future collide in Haridwar, Hindustan Times BySejal Sharma, Haridwar Published on: Sept 17, 2025 06:02 am IST https://www.hindustantimes.com/india-news/gyan-kumbh-of-ai-faith-future-collide-in-haridwar-101758048129913.html The "Faith & Future" conference in Haridwar discu...

Sept. 17, 2025, 2:56 p.m.

भारतीय संस्कृति में विज्ञान और अध्यात्म ...

हरिद्वार, 16 सितंबर। "भारतीय संस्कृति में विज्ञान और अध्यात्म का संतुलन सदा से रहा है। अब समय आ गया है कि हम कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) को केवल तकनीक के रूप में न देखकर, इसे मानवीय संवेदनाओं और आध्यात्मिक मूल्यों से जोड़कर मानव कल्याण हेतु उपयोग करें।" यह उद्गार उत्तराखंड के राज्यपाल महामहिम श्री गुरम...

Sept. 17, 2025, 11:34 a.m.

विश्वकर्मा पूजा: श्रम, सृजन और सेवा को स...

विश्वकर्मा पूजा केवल औज़ारों और यंत्रों का पूजन नहीं, यह उस आत्मभाव का उत्सव है जो श्रम, सृजन और सेवा में ब्रह्म की उपस्थिति को अनुभव करता है। पूज्य गुरुदेव कहा करते थे: “यदि आप अपने कर्म को साधना मानकर करते हैं, तो वही कर्म, यज्ञ बन जाता है।” इस दिवस का संदेश है: - कर्मयोग, सृजनशीलता और कौशल विकास ...

Sept. 17, 2025, 10:01 a.m.

Faith & Future: Historic Confluence of A...

The International Conference on “Faith & Future: Integrating AI with Spirituality”, held at Dev Sanskriti Vishwavidyalaya, Haridwar, as a pre-summit event of the AI Impact Summit 2026, underscored a pressing truth of our times: Artificial Intelligence is shaping the future, but without the guiding l...

Sept. 17, 2025, 9:43 a.m.

कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर हरिद्वार में हुआ ...

हरिद्वार। 16 सितंबर। देवभूमि उत्तराखंड स्थित देवसंस्कृति विश्वविद्यालय (देसंविवि), हरिद्वार एक ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बना जब देश-विदेश के विशेषज्ञों, दो नोबेल पुरस्कार विजेताओं और बीस देशों के प्रतिनिधियों ने एक मंच पर कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence – AI) के वर्तमान और भविष्य पर अपने ...

Sept. 16, 2025, 2:52 p.m.

देसंविवि में एआई फेथ एवं फ्यूचर पर अंतर्...

हरिद्वार 15 सितम्बर। देवभूमि उत्तराखण्ड या यूं कहें कि भारत की पवित्र धरती पर पहली बार कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के विश्वास एवं भविष्य को लेकर एक भव्य अंतर्राष्ट्रीय सेमीनार का आयोजन 16 सितंबर को देवसंस्कृति विश्वविद्यालय शांतिकुंज, हरिद्वार में होने जा रहा है।     सेमीनार के उद्घाटन समारोह में लोकस...

Sept. 15, 2025, 11:46 a.m.

आपदा प्रबंधन के लिए शांतिकुंज में हुआ प्...

शांतिकुंज,13 सितंबर 2025 - प्रकृति जन्य या मानव निर्मित आपदाओं के समय मानव सेवा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हुए, अखिल विश्व गायत्री परिवार ने शांतिकुंज मुख्यालय में एक राष्ट्र रक्षा-आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया। इस शिविर में उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले से आए परिजनों ने हिस्स...

Sept. 15, 2025, 11:40 a.m.

हिन्दी हमारी आत्मा की अभिव्यक्ति है, यह ...

देव संस्कृति विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग द्वारा हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में दो दिवसीय विशेष कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर विद्यार्थियों ने वाद-विवाद, काव्यपाठ, निबंध लेखन, भाषण, प्रश्नोत्तरी एवं सांस्कृतिक प्रस्तुतियों जैसे विविध आयोजनों में उत्साहपूर्वक भाग लिया। कार्यक्रम के समापन...

Sept. 15, 2025, 11:33 a.m.

Science Meets Spirituality: Shri Rajnish...

Shri Rajnish Prakash Ji, Former CEO of the Heavy Water Board, Ex-Independent Director of NPCIL, and Ex-Chairman of the Atomic Energy Education Society, visited Shantikunj, Haridwar, on 13th September 2025, accompanied by his brother (Chief Engineer, Delhi) and their families. During his visit, he ha...

Sept. 15, 2025, 11:26 a.m.
as

First Meeting With Guru

At the age of 15- Self-realization on Basant Panchanmi Parva 1926 at Anwalkheda (Agra, UP, India), with darshan and guidance from Swami Sarveshwaranandaji.

Akhand Deep

More than 2400 crore Gayatri Mantra have been chanted so far in its presence. Just by taking a glimpse of this eternal flame, people receive divine inspirations and inner strength.

Akhand Jyoti Magazine

It was started in 1938 by Pt. Shriram Sharma Acharya. The main objective of the magazine is to promote scientific spirituality and the religion of 21st century, that is, scientific religion.

Gayatri Mantra

The effect of sincere and steadfast Gayatri Sadhana is swift and miraculous in purifying, harmonizing and steadying the mind and thus establishing unshakable inner peace and a sense of joy filled calm even in the face of grave trials and tribulations in the outer life of the Sadhak.

डॉ. शंकर दयाल शर्मा (पूर्व राष्ट्रपति)

आचार्य जी ने सिद्धांत और साधना को आधुनिक युग के अनुकूल तर्क व शब्द देकर सामाजिक परिवर्तन का जो मार्ग दिखाया है, उसके लिए आने वाली पीढ़ियाँ युगों-युगों तक कृतज्ञ रहेंगी।