हमारी वसीयत और विरासत (भाग 23)...

दिए गए कार्यक्रमों का प्राणपण से निर्वाह:— स्वतंत्रता-संग्राम की कई बार जेलयात्रा— 24 महापुरश्चरणों का व्रत धारण— इसके साथ ही मेहतरानी की सेवा-साधना, यह तीन परीक्षाएँ मुझे छोटी उम्र में ही पास करनी पड़ीं। आंतरिक दुर्बलताएँ और संबद्ध परिजनों के दुहरे मोर्चे पर एक साथ लड़ा। उस आत्मविजय का ही परिणाम है क...

June 8, 2025, 9:47 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 21)— दिए गए क...

दिए गए कार्यक्रमों का प्राणपण से निर्वाह:— अपना मुँह एक— सामने वाले के सौ। किस-किस को, कहाँ तक जवाब दिया जाए? अंत में हारकर गांधी जी के तीन गुरुओं में से एक को अपना भी गुरु बना लिया। मौन रहने से राहत मिली। ‘भगवान की प्रेरणा’ कह देने से थोड़ा काम चल पाता; क्योंकि उसे काटने के लिए उन सबके पास बहुत पैने...

June 6, 2025, 10:13 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 20)— दिए गए क...

दिए गए कार्यक्रमों का प्राणपण से निर्वाह:— इस प्रथम साक्षात्कार के समय मार्गदर्शक सत्ता द्वारा तीन कार्यक्रम दिए गए थे। सभी नियमोपनियमों के साथ 24 वर्ष का 24 गायत्री महापुरश्चरण संपन्न किया जाना था। अखंड घृतदीपक को भी साथ-साथ निभाना था। अपनी पात्रता में क्रमशः कमी पूरी करने के साथ लोक-मंगल की भूमिका...

June 4, 2025, 10:59 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 19 ) मार्गदर्...

मार्गदर्शक द्वारा भावी जीवनक्रम संबंधी निर्देश:   “पूर्वकाल में ऋषिगण गोमुख से ऋषिकेश तक अपनी-अपनी रुचि और सुविधाओं के अनुसार रहते थे। वह क्षेत्र अब पर्यटकों, तीर्थयात्रियों और व्यवसायियों से भर गया है। इसलिए उसे उन्हीं लोगों के लिए छोड़ दिया गया है। अनेक देव मंदिर बन गए हैं, ताकि यात्रियों का कौतूहल...

June 3, 2025, 9:20 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 18)— मार्गद...

मार्गदर्शक द्वारा भावी जीवनक्रम संबंधी निर्देश:— ‘‘जब तक तुम्हारे स्थूलशरीर की उपयोगिता रहेगी, तभी तक वह काम करेगा। इसके उपरांत इसे छोड़कर सूक्ष्मशरीर में चला जाना होगा। तब साधनाएँ भिन्न होंगी; क्षमताएँ बढ़ी-चढ़ी होंगी। विशिष्ट व्यक्तियों से संपर्क रहेगा। बड़े काम इसी प्रकार हो सकेंगे।’’ गुरुदेव ने कहा—...

June 2, 2025, 10:02 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग16)— मार्गदर्श...

मार्गदर्शक द्वारा भावी जीवनक्रम संबंधी निर्देश:—     हमारा अनुभव यह रहा है कि जितनी उत्सुकता साधकों को सिद्धपुरुष खोजने की होती है, उससे असंख्यों गुनी उत्कंठा सिद्धपुरुषों को सुपात्र साधकों की तलाश करने के निमित्त होती है। साधक सत्पात्र चाहिए। जिसने अपना चिंतन, चरित्र और व्यवहार परिष्कृत कर लिया हो,...

May 31, 2025, 10:11 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग16)— मार्गदर्श...

मार्गदर्शक द्वारा भावी जीवनक्रम संबंधी निर्देश:—     हमारा अनुभव यह रहा है कि जितनी उत्सुकता साधकों को सिद्धपुरुष खोजने की होती है, उससे असंख्यों गुनी उत्कंठा सिद्धपुरुषों को सुपात्र साधकों की तलाश करने के निमित्त होती है। साधक सत्पात्र चाहिए। जिसने अपना चिंतन, चरित्र और व्यवहार परिष्कृत कर लिया हो,...

May 31, 2025, 10:10 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 15)— पिछले ती...

पिछले तीन जन्मों की एक झाँकी:—  पिछले जिन तीन जन्मों का दृश्य गुरुदेव ने हमें दिखाया, उनमें से प्रथम थे संत कबीर, दूसरे समर्थ रामदास, तीसरे रामकृष्ण परमहंस। इन तीनों का कार्यकाल इस प्रकार रहा है—  कबीर ई. (सन् 1398 से 1518), समर्थ (सन् 1608 से 1682), श्री रामकृष्ण परमहंस (सन् 1836 से 1887)। यह तीनों...

May 30, 2025, 10:06 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 14)— समर्थगु...

समर्थगुरु की प्राप्ति— एक अनुपम सुयोग:— दयानंद ने गुरु विरजानंद की इच्छानुसार अपने जीवन का उत्सर्ग किया था। विवेकानंद अपनी सभी इच्छाएँ समाप्त करके गुरु को संतोष देने वाले कष्टसाध्य कार्य में प्रवृत्त हुए थे। इसी में सच्ची गुरुभक्ति और गुरुदक्षिणा है। हनुमान ने राम को अपना समर्पण करके प्रत्यक्षतः तो ...

May 29, 2025, 10:21 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 11)— जीवन के ...

जीवन के सौभाग्य का सूर्योदय:— उस दिन हमने सच्चे मन से उन्हें समर्पण किया। वाणी ने नहीं, आत्मा ने कहा— ‘‘जो कुछ पास में है, आपके निमित्त ही अर्पण। भगवान को हमने देखा नहीं, पर वह जो कल्याण कर सकता था, वही कर रहे हैं। इसलिए आप हमारे भगवान हैं। जो आज सारे जीवन का ढाँचा आपने बताया है, उसमें राई-रत्ती प्र...

May 26, 2025, 9:34 a.m.

व्यक्तित्व का समग्र विकास साधना में निहि...

उत्तराखण्ड, हिमाचल, दक्षिण भारतीय आदि राज्यों के दो दिवसीय राष्ट्रीय शिक्षक गरिमा का शुभारंभ हरिद्वार 7 जून।  शांतिकुंज के मुख्य सभागार में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय शिक्षक गरिमा शिविर के उद्घाटन सत्र के अवसर पर शांतिकुंज महिला मंडल प्रमुख श्रीमती शैफाली पण्ड्या ने कहा कि जीवन में किसी भी क्षेत्र म...

June 7, 2025, 4:34 p.m.

शांतिकुंज से उप्र के 32 जनपदों हेतु ज्यो...

जन जागरण के लिए उप्र की धरती पर पहुँचेगा अखंड दीप का संदेश   हरिद्वार 6 जून। परम वंदनीया माता भगवती देवी शर्मा की जन्मशताब्दी वर्ष 2026 के उपलक्ष्य में अखिल विश्व गायत्री परिवार द्वारा निकाली जा रही ज्योति कलश रथ यात्रा की श्रृंखला में आज शांतिकुंज से उत्तर प्रदेश के ३२ जनपदों हेतु दो रथों को रवाना ...

June 6, 2025, 4:06 p.m.

गायत्री जयंती एवं गंगा दशहरा पर उत्तर प्...

गायत्री जयंती तथा गंगा दशहरा के पुण्यपर्व पर शांतिकुंज, हरिद्वार से उत्तर प्रदेश हेतु दो ज्योति कलश रथयात्राओं को विधिवत विदाई दी गई। यह रथयात्राएँ जन-जन में आध्यात्मिक जागरण, संस्कृति-संवर्धन, युग निर्माण के संदेश के साथ 2026 में अखंड दीपक की शताब्दी एवं परम वंदनीया माताजी की जन्म शताब्दी के लिए सं...

June 6, 2025, 10:17 a.m.

विश्व पर्यावरण दिवस पर वृक्षारोपण : प्रक...

विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून) के पावन अवसर पर अखिल विश्व गायत्री परिवार के मुख्यालय शांतिकुंज, हरिद्वार में पंचवटी के पाँच पौधों सहित सिल्क फ्रॉस्टी एवं स्वामी प्रजाति के कुल 21 पौधों का रोपण सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी द्वारा इन पौधों ...

June 6, 2025, 9:51 a.m.

DSVV and NIF Collaborate to Launch Eco-F...

DSVV & National Innovation Foundation has collaborated under which few machines from NIF have arrived and the installations and training are ongoing. The machines are indigenous innovations and shall be used to train individuals to produce organic, cow dung based and eco friendly articles such as Fl...

June 6, 2025, 9:27 a.m.

सेवा भाव की मिसाल बने गायत्री विद्यापीठ ...

गायत्री जयंती महापर्व के अवसर पर जहां एक ओर शांतिकुंज परिसर में विविध आध्यात्मिक कार्यक्रमों की गूंज रही, वहीं दूसरी ओर गायत्री विद्यापीठ शांतिकुंज के स्काउट-गाइड के बच्चों ने अपनी निःस्वार्थ सेवा से श्रद्धालुओं का दिल जीत लिया। देश-विदेश से पधारे हजारों श्रद्धालुओं के स्वागत व सत्कार में जुटे इन बा...

June 5, 2025, 12:32 p.m.

शांतिकुंज में गायत्री जयंती-गंगा दशहरा क...

अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ प्रणव पण्ड्या ने कहा कि गायत्री महामंत्र सद्ज्ञान का बीज है। इसे प्राप्त करने और समझने के लिए साधक को सद्गुरु की शरण में जाना आवश्यक है। गायत्री महामंत्र केवल जप करने का माध्यम नहीं, बल्कि यह एक बहुआयामी सूत्र है, जिसमें जीवन का सम्पूर्ण सार समाहित है। यह...

June 5, 2025, 12:26 p.m.

शांतिकुंज में तीन दिवसीय गायत्री जयंती म...

हरिद्वार 3 जून। गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में तीन दिवसीय गायत्री जयंती महापर्व का आज उल्लासपूर्ण वातावरण में शुभारंभ हुआ। पर्व की शुरुआत मंगलवार प्रातः एक विशाल शोभायात्रा से हुई, जिसे शांतिकुंज के वरिष्ठ प्रतिनिधि युवा आइकॉन डॉ चिन्मय पण्ड्या ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यह शोभायात्रा शांतिकुंज के ...

June 3, 2025, 2:08 p.m.

देसंविवि पहुंचे निर्वाचन आयुक्त डॉ जोशी...

हरिद्वार 30 मई। भारत निर्वाचन आयोग के निर्वाचन आयुक्त डॉ विवेक जोशी सपरिवार देवसंस्कृति विश्वविद्यालय शांतिकुंज पहुंचे। देसंविवि के प्रतिकुलपति युवा आइकान डॉ चिन्मय पण्ड्या ने पुष्प गुच्छ भेंटकर आत्मीय स्वागत किया।  निर्वाचन आयुक्त डॉ जोशी देसंविवि के हृदय स्थल माने जाने वाले प्रज्ञेश्वर महादेव मंदि...

May 31, 2025, 10:08 a.m.

देव संस्कृति विश्वविद्यालय में भारत निर्...

भारत निर्वाचन आयोग के माननीय आयुक्त डॉ. विवेक जोशी जी का देव संस्कृति विश्वविद्यालय में स्वागत प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी द्वारा किया गया । अपने इस प्रवास के दौरान उन्होंने विश्वविद्यालय परिसर एवं शांतिकुंज का भ्रमण किया तथा यहाँ संचालित हो रहे विविध शैक्षिक, सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक ग...

May 30, 2025, 3:09 p.m.
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First Meeting With Guru

At the age of 15- Self-realization on Basant Panchanmi Parva 1926 at Anwalkheda (Agra, UP, India), with darshan and guidance from Swami Sarveshwaranandaji.

Akhand Deep

More than 2400 crore Gayatri Mantra have been chanted so far in its presence. Just by taking a glimpse of this eternal flame, people receive divine inspirations and inner strength.

Akhand Jyoti Magazine

It was started in 1938 by Pt. Shriram Sharma Acharya. The main objective of the magazine is to promote scientific spirituality and the religion of 21st century, that is, scientific religion.

Gayatri Mantra

The effect of sincere and steadfast Gayatri Sadhana is swift and miraculous in purifying, harmonizing and steadying the mind and thus establishing unshakable inner peace and a sense of joy filled calm even in the face of grave trials and tribulations in the outer life of the Sadhak.

आचार्य जी ने सिद्धांत और साधना को आधुनिक युग के अनुकूल तर्क व शब्द देकर सामाजिक परिवर्तन का जो मार्ग दिखाया है, उसके लिए आने वाली पीढ़ियाँ युगों-युगों तक कृतज्ञ रहेंगी।

डॉ. शंकर दयाल शर्मा (पूर्व राष्ट्रपति)

 

मुझे ज्ञात है कि इस विश्वविद्यालय ने स्वतंत्रता सेनानी और लगभग ३००० पुस्तकों के लेखक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्यजी के स्वप्न को साकार रूप दिया है। इन्हें भारत में ज्ञान क्रांति का प्रवर्तक कहना उपयुक्त होगा। आचार्यश्री का विचार था कि अज्ञानता ही निर्धनता और बीमारी आदि सभी समस्याओं की जड़ है।

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम (पूर्व राष्ट्रपति एवं वैज्ञानिक)

 

आचार्य जी का एकाकी पुरुषार्थ सारे संत समाज की सम्मिलित शक्ति के स्तर का है, उनने गायत्री व यज्ञ को प्रतिबंध रहित करने निमित्त जो कुछ भी किया वह शास्त्रों के अनुसार ही था। मेरा उन्हें बारम्बार नमन है।

स्वामी जयेन्द्रतीर्थ सरस्वती (शंकराचार्य कांची कामकोटि पीठ)

 

श्रद्धेय आचार्य श्रीराम शर्मा जी ने जो कार्य कर दिखाया वह अद्भुत है, युग के लिए नितांत आवश्यक है। आचार्य जी के साहित्य से मैं बहुत प्रभावित हूँ। प्रज्ञा पुराण ने विशेष रूप से मुझे अपने कार्यों में बहुत बल प्रदान किया है। उनका चिंतन राष्ट्र को शक्तिशाली बनाता और मानव मात्र को सही दिशा प्रदान करता है।

श्री नानाजी देशमुख (संस्थापक ग्रामोदय विश्वविद्यालय)

 

आचार्य जी द्वारा भाष्य किए गए उपनिषदों का स्वाध्याय करने के बाद उन्होंने कहा कि- ‘‘काश! यह साहित्य मुझे जवानी में मिल गया होता तो मेरे जीवन की दिशाधारा कुछ और ही होती; मैं राजनीति में न जाकर आचार्य श्री के चरणों में बैठा अध्यात्म का ज्ञान ले रहा होता।’’

सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन्

 

विनोबा जी ने वेदों के पूज्यवर द्वारा किए गए भाष्य को ग्वालियर मेंं एक सार्वजनिक सभा में अपने सिर पर धारण करते हुए कहा- "ये ग्रन्थ किसी व्यक्ति द्वारा नहीं, शक्ति द्वारा लिखे गये हैं।"

आचार्य विनोबा भावे

 

सुप्रसिद्ध सन्त देवरहा बाबा एक सिद्ध पुरुष थे। उनने एक परिजन से कहा- ‘‘बेटा! उनके बारे में मैं क्या कहूँ? यह समझो कि मैं हृदय से सतत उनका स्मरण करता रहता हूँ। गायत्री उनमें पूर्णतः समा गयी है एवं वे साक्षात् सविता स्वरूप हैं।’’

देवरहा बाबा

 

‘‘आचार्यश्री ने गायत्री को जन-जन की बनाकर महर्षि दयानन्द के कार्यों को आगे बढ़ाया है। गायत्री और ये एकरूप हो गये हैं।’’

महात्मा आनन्द स्वामी

 

अपने भावभरे उद्गार पूज्यवर के सम्बन्ध में इस रूप में व्यक्त किए थे- ‘‘आचार्य जी इस युग में गायत्री के जनक हैं। उनने गायत्री को सबकी बना दिया। यदि इसे मात्र ब्राह्मणों की मानकर उन्हीं के भरोसे छोड़ दिया होता तो अब तक गायत्री महाविद्या सम्भवतः लुप्त हो गयी होती।’’

करपात्री जी महाराज