हमारी वसीयत और विरासत (भाग 21)— समर्थगु...

समर्थगुरु की प्राप्ति— एक अनुपम सुयोग:— अध्यात्म प्रयोजनों के लिए गुरु-स्तर के सहायक की इसलिए आवश्यकता पड़ती है कि उसे पिता और अध्यापक का दुहरा उत्तरदायित्व निभाना पड़ता है। पिता बच्चे को अपनी कमाई का एक अंश देकर पढ़ने की सारी साधन-सामग्री जुटाता है। अध्यापक उसके ज्ञान अनुभव को बढ़ाता है। दोनों के सहयोग...

May 28, 2025, 11:17 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 20)— समर्थ ग...

समर्थगुरु की प्राप्ति— एक अनुपम सुयोग:— रामकृष्ण, विवेकानंद को ढूँढ़ते हुए उनके घर गए थे। शिवाजी को समर्थ गुरु रामदास ने खोजा था। चाणक्य, चंद्रगुप्त को पकड़कर लाए थे। गोखले, गांधी पर सवार हुए थे। हमारे संबंध में भी यही बात है। मार्गदर्शक सूक्ष्मशरीर से पंद्रह वर्ष की आयु में घर आए थे और आस्था जगाकर उ...

May 27, 2025, 10:22 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 11)— जीवन के ...

जीवन के सौभाग्य का सूर्योदय:— उस दिन हमने सच्चे मन से उन्हें समर्पण किया। वाणी ने नहीं, आत्मा ने कहा— ‘‘जो कुछ पास में है, आपके निमित्त ही अर्पण। भगवान को हमने देखा नहीं, पर वह जो कल्याण कर सकता था, वही कर रहे हैं। इसलिए आप हमारे भगवान हैं। जो आज सारे जीवन का ढाँचा आपने बताया है, उसमें राई-रत्ती प्र...

May 26, 2025, 9:34 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 10)— जीवन के ...

जीवन के सौभाग्य का सूर्योदय:—  गंध बाबा— चाहे जिसे सुगंधित फूल सूँघा देते थे। बाघ बाबा— अपनी कुटी में बाघ को बुलाकर बिठा लेते थे। समाधि बाबा— कई दिन तक जमीन में गड़े रहते थे। सिद्ध बाबा— आगंतुकों की मनोकामना पूरी करते थे। ऐसी-ऐसी जनश्रुतियाँ भी दिमाग में घूम गईं और समझ में आया कि यदि इन घटनाओं के पीछ...

May 25, 2025, 11:05 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 9)— जीवन के स...

जीवन के सौभाग्य का सूर्योदय:— वह पावन दिन वसंत पर्व का दिन था। प्रातः ब्रह्ममुहूर्त्त था। नित्य की तरह संध्यावंदन का नियम-निर्वाह चल रहा था। प्रकाश-पुंज के रूप में देवात्मा का दिव्य दर्शन, उसी कौतूहल से मन में उठी जिज्ञासा और उसके समाधान का यह उपक्रम चल रहा था। मैंने अपना पिछला जन्म आदि से अंत तक दे...

May 24, 2025, 9:44 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 8)— जीवन के स...

जीवन के सौभाग्य का सूर्योदय:— ‘‘हम सूक्ष्मदृष्टि से ऐसे सत्पात्र की तलाश करते रहे, जिसे सामयिक लोक-कल्याण का निमित्तकारण बनाने के लिए प्रत्यक्ष कारण बनावें। हमारा यह सूक्ष्मशरीर है। सूक्ष्मशरीर से स्थूल कार्य नहीं बन पड़ते। इसके लिए किसी स्थूलशरीरधारी को ही माध्यम बनाना और शस्त्र की तरह प्रयुक्त करना...

May 23, 2025, 9:30 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 7)— जीवन के स...

जीवन के सौभाग्य का सूर्योदय:— शिष्य गुरुओं की खोज में रहते हैं। मनुहार करते हैं। कभी उनकी अनुकंपा, भेंट-दर्शन हो जाए, तो अपने को धन्य मानते हैं। उनसे कुछ प्राप्त करने की आकांक्षा रखते हैं। फिर क्या कारण है कि मुझे अनायास ही ऐसे सिद्धपुरुष का अनुग्रह प्राप्त हुआ? यह कोई छद्म तो नहीं है? अदृश्य में प्...

May 22, 2025, 9:44 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 6)— जीवन के स...

जीवन के सौभाग्य का सूर्योदय:—  योगनिद्रा कैसी होती है, इसका अनुभव मैंने जीवन में पहली बार किया। ऐसी स्थिति को ही जाग्रत समाधि भी कहते हैं। इस स्थिति में डुबकी लगाते ही एक-एक करके मुझे अपने पिछले तीन जन्मों का दृश्य क्रमशः ऐसा दृष्टिगोचर होने लगा, मानो वह कोई स्वप्न न होकर प्रत्यक्ष घटनाक्रम ही हो। त...

May 21, 2025, 11:03 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 5)— जीवन के ...

जीवन के सौभाग्य का सूर्योदय:—  भगवान की अनुकंपा ही कह सकते हैं, जो अनायास ही हमारे ऊपर पंद्रह वर्ष की उम्र में बरसी और वैसा ही सुयोग बनता चला गया, जो हमारे लिए विधि द्वारा पूर्व से ही नियोजित था। हमारे बचपन में सोचे गए संकल्प को प्रयास के रूप में परिणत होने का सुयोग मिल गया।  पंद्रह वर्ष की आयु थी।...

May 20, 2025, 10:08 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 1)...

इस जीवनयात्रा के गंभीरतापूर्वक पर्यवेक्षण की आवश्यकता जिन्हें भले या बुरे क्षेत्रों में विशिष्ट व्यक्ति समझा जाता है, उनकी जीवनचर्या के साथ जुड़े हुए घटनाक्रमों को भी जानने की इच्छा होती है। कौतूहल के अतिरिक्त इसमें एक भाव ऐसा भी होता है, जिसके सहारे कोई अपने काम आने वाली बात मिल सके। जो हो कथा-साह...

May 16, 2025, 9:56 a.m.

A Fortunate Meeting with an Exemplary Na...

It was a matter of great privilege and inspiration for Dev Sanskriti Vishwavidyalaya to host Shri K. Narayana Rao (KNR) — a highly accomplished professional and a true inspiration for the youth of our nation. Shri KNR, the first Chartered Accountant from Ichchapuram, Andhra Pradesh, holds the rare d...

May 27, 2025, 9:24 a.m.

शांतिकुंज ने खानपुर ब्लॉक के 1815 विद्या...

हरिद्वार 26 मई। मां भगवती देवी अन्नपूर्णा योजनांतर्गत गायत्री विद्यापीठ शांतिकुंज की व्यवस्था मण्डल प्रमुख श्रीमती शैफाली पण्ड्या जी की अगुवाई में सोमवार को खानपुर विकासखण्ड के 33 प्राथमिक विद्यालयों के 1815 विद्यार्थियों को स्कूल बैग किट वितरित किये गये। वितरण समारोह का आदरणीया शैफाली पण्ड्या सहित ...

May 26, 2025, 5:23 p.m.

Mrs. Anusuya Goswami, State Minister of ...

Mrs. Anusuya Goswami, State Minister of the Bharatiya Janata Party, Rajasthan, recently paid a heartfelt visit to Dev Sanskriti Vishwavidyalaya, Haridwar. During her visit, she experienced the vibrant academic, cultural, and spiritual dimensions of the university firsthand. On this occasion, she met...

May 26, 2025, 5:05 p.m.

योग केवल व्यायाम नहीं, यह आत्मा से परमात...

भारतवर्ष के विभिन्न राज्यों से पधारे अनेक प्रतिष्ठित योग संस्थाओं के योग शिक्षकगण आध्यात्मिक योग रिट्रीट हेतु शांतिकुंज, हरिद्वार में पधारे। शांतिकुंज के दर्शन उपरांत उन्होंने देव संस्कृति विश्वविद्यालय का भी अवलोकन किया एवं वहाँ के अध्यात्म-प्रधान वातावरण का अनुभव किया। इस अवसर पर उन्होंने विश्वविद...

May 25, 2025, 3:53 p.m.

राजस्थान सरकार के शिक्षामंत्री माननीय श्...

राजस्थान सरकार में शिक्षामंत्री माननीय श्री मदन दिलावर जी का देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार एवं शांतिकुंज परिसर में आत्मीय स्वागत किया गया। अपने इस विशेष प्रवास के दौरान उन्होंने विश्वविद्यालय के शैक्षणिक, शोधपरक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों का अवलोकन किया तथा शांतिकुंज के आध्यात्मिक वातावरण का अ...

May 25, 2025, 3:52 p.m.

‘परम वंदनीया माताजी अन्नपूर्णा योजना’ के...

अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज की ‘परम वन्दनीया माताजी अन्नपूर्णा योजना’ के अंतर्गत दिनांक 23 मई 2025 को आदर्श माध्यमिक विद्यालय, तुगलकपुर, खानपुर में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें क्षेत्र के 11 विद्यालयों के सैकड़ों विद्यार्थियों को उपयोगी शैक्षणिक सामग्री वितरित की गई। कार्यक्रम ...

May 24, 2025, 2:39 p.m.

ओसियां में प्रज्ञा अभियान पत्रिका का वित...

ओसियां, जोधपुर: अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज हरिद्वार की ओसियां शाखा द्वारा आज श्री वर्धमान जैन सीनियर सेकेंडरी विद्यालय, ओसियां में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित कर कक्षा 11वीं एवं 12वीं के विद्यार्थियों सहित नगर के गणमान्य नागरिकों को प्रज्ञा अभियान पत्रिका वितरित की गई। इस अवसर पर ओसियां के पू...

May 24, 2025, 2:19 p.m.

Shri Yogesh Verma, Chairman and Managing...

We were privileged to welcome Shri Yogesh Verma, Chairman and Managing Director of Anya Softek Ltd., to the campus of Dev Sanskriti Vishwavidyalaya. During his visit, Shri Verma ji had an insightful interaction with the Pro Vice Chancellor, Respected Dr. Chinmay Pandya. Their dialogue centered aroun...

May 23, 2025, 12:50 p.m.

Ms. Parvati from Japan completed her Gra...

It was an honour to host the distinguished parents of Ms. Parvati, our international student from Japan, who has recently completed her graduation in Yoga from Dev Sanskriti Vishwavidyalaya. Her father, the Head of the Jain Association of Japan, and her mother, the Head of the Buddhist Association o...

May 23, 2025, 12:46 p.m.

Ms. Shankari Shaktini Chaitanya from Ved...

We were honored to host Ms. Shankari Shaktini Chaitanya, esteemed Personal Secretary to Swami Shankaratilaka Saraswati Ji, Chancellor of the Vedic Foundation International—an institution with a spiritual presence in Rishikesh, Budapest, and Spain. As an alumna of Dev Sanskriti Vishwavidyalaya, we ta...

May 23, 2025, 12:42 p.m.
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First Meeting With Guru

At the age of 15- Self-realization on Basant Panchanmi Parva 1926 at Anwalkheda (Agra, UP, India), with darshan and guidance from Swami Sarveshwaranandaji.

Akhand Deep

More than 2400 crore Gayatri Mantra have been chanted so far in its presence. Just by taking a glimpse of this eternal flame, people receive divine inspirations and inner strength.

Akhand Jyoti Magazine

It was started in 1938 by Pt. Shriram Sharma Acharya. The main objective of the magazine is to promote scientific spirituality and the religion of 21st century, that is, scientific religion.

Gayatri Mantra

The effect of sincere and steadfast Gayatri Sadhana is swift and miraculous in purifying, harmonizing and steadying the mind and thus establishing unshakable inner peace and a sense of joy filled calm even in the face of grave trials and tribulations in the outer life of the Sadhak.

आचार्य जी ने सिद्धांत और साधना को आधुनिक युग के अनुकूल तर्क व शब्द देकर सामाजिक परिवर्तन का जो मार्ग दिखाया है, उसके लिए आने वाली पीढ़ियाँ युगों-युगों तक कृतज्ञ रहेंगी।

डॉ. शंकर दयाल शर्मा (पूर्व राष्ट्रपति)

 

मुझे ज्ञात है कि इस विश्वविद्यालय ने स्वतंत्रता सेनानी और लगभग ३००० पुस्तकों के लेखक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्यजी के स्वप्न को साकार रूप दिया है। इन्हें भारत में ज्ञान क्रांति का प्रवर्तक कहना उपयुक्त होगा। आचार्यश्री का विचार था कि अज्ञानता ही निर्धनता और बीमारी आदि सभी समस्याओं की जड़ है।

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम (पूर्व राष्ट्रपति एवं वैज्ञानिक)

 

आचार्य जी का एकाकी पुरुषार्थ सारे संत समाज की सम्मिलित शक्ति के स्तर का है, उनने गायत्री व यज्ञ को प्रतिबंध रहित करने निमित्त जो कुछ भी किया वह शास्त्रों के अनुसार ही था। मेरा उन्हें बारम्बार नमन है।

स्वामी जयेन्द्रतीर्थ सरस्वती (शंकराचार्य कांची कामकोटि पीठ)

 

श्रद्धेय आचार्य श्रीराम शर्मा जी ने जो कार्य कर दिखाया वह अद्भुत है, युग के लिए नितांत आवश्यक है। आचार्य जी के साहित्य से मैं बहुत प्रभावित हूँ। प्रज्ञा पुराण ने विशेष रूप से मुझे अपने कार्यों में बहुत बल प्रदान किया है। उनका चिंतन राष्ट्र को शक्तिशाली बनाता और मानव मात्र को सही दिशा प्रदान करता है।

श्री नानाजी देशमुख (संस्थापक ग्रामोदय विश्वविद्यालय)

 

आचार्य जी द्वारा भाष्य किए गए उपनिषदों का स्वाध्याय करने के बाद उन्होंने कहा कि- ‘‘काश! यह साहित्य मुझे जवानी में मिल गया होता तो मेरे जीवन की दिशाधारा कुछ और ही होती; मैं राजनीति में न जाकर आचार्य श्री के चरणों में बैठा अध्यात्म का ज्ञान ले रहा होता।’’

सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन्

 

विनोबा जी ने वेदों के पूज्यवर द्वारा किए गए भाष्य को ग्वालियर मेंं एक सार्वजनिक सभा में अपने सिर पर धारण करते हुए कहा- "ये ग्रन्थ किसी व्यक्ति द्वारा नहीं, शक्ति द्वारा लिखे गये हैं।"

आचार्य विनोबा भावे

 

सुप्रसिद्ध सन्त देवरहा बाबा एक सिद्ध पुरुष थे। उनने एक परिजन से कहा- ‘‘बेटा! उनके बारे में मैं क्या कहूँ? यह समझो कि मैं हृदय से सतत उनका स्मरण करता रहता हूँ। गायत्री उनमें पूर्णतः समा गयी है एवं वे साक्षात् सविता स्वरूप हैं।’’

देवरहा बाबा

 

‘‘आचार्यश्री ने गायत्री को जन-जन की बनाकर महर्षि दयानन्द के कार्यों को आगे बढ़ाया है। गायत्री और ये एकरूप हो गये हैं।’’

महात्मा आनन्द स्वामी

 

अपने भावभरे उद्गार पूज्यवर के सम्बन्ध में इस रूप में व्यक्त किए थे- ‘‘आचार्य जी इस युग में गायत्री के जनक हैं। उनने गायत्री को सबकी बना दिया। यदि इसे मात्र ब्राह्मणों की मानकर उन्हीं के भरोसे छोड़ दिया होता तो अब तक गायत्री महाविद्या सम्भवतः लुप्त हो गयी होती।’’

करपात्री जी महाराज