यदि कोई आप को महत्त्व न दे, तो भी आप दुखी न हों
इस संसार में व्यक्ति अकेला नहीं जी सकता, क्योंकि उसमें इतना शक्ति सामर्थ्य नहीं है, कि वह अपने सारे काम स्वयं सुख पूर्वक कर लेवे। उसे समाज का सहयोग तो लेना ही पड़ता है। इसीलिए मनुष्य सामाजिक प्राणी कहलाता है। आपके परिवार के लोग, आपके संबंधी रिश्तेदार, आपके मित्र, और देश विदेश के लोग भी आपको अनेक क्षेत्रों में सहयोग देते हैं।
जब आप समाज में एक दूसरे के साथ व्यवहार करते हैं, तो आपको एक दूसरे को सम्मान या महत्त्व भी देना होता है।
इस सम्मान या महत्त्व देने के व्यवहार से परस्पर प्रेम संगठन विश्वास आनंद उत्साह आदि गुणों की वृद्धि होती है। जब आप किसी दूसरे व्यक्ति को उसके गुणों और योग्यता के आधार पर कुछ महत्त्व देते हैं, तो आप उससे भी वैसी ही आशा रखते हैं, कि वह भी आपके गुणों और योग्यता के आधार पर आपको सम्मान देगा, महत्त्व देगा। ऐसी आशा रखना, स्वाभाविक ही है।
परंतु कभी कभी, कोई व्यक्ति, जो कुछ अधिक ही अभिमानी होता है, वह आपकी योग्यता को या तो समझता नहीं अथवा समझते हुए भी जानबूझकर आपको उचित सम्मान या महत्त्व नहीं देता। ऐसी स्थिति में आपको कष्ट होता है। उस स्थिति में भी आप दुखी न हों। इसका उपाय यह है कि मान लिया, 10 में से 1 व्यक्ति ने आपके साथ कुछ ठीक व्यवहार नहीं किया। आपको उचित महत्त्व नहीं दिया, तो उस एक व्यक्ति की आप भी उपेक्षा करें। आप भी उस पर ध्यान न दें। (उससे द्वेष नहीं करना है। उपेक्षा करनी है।) शेष 9 व्यक्ति जो आपको सम्मान और महत्त्व देते हैं, उनके साथ अपना व्यवहार रखें, और आनंद से जिएं।
याद रहे, आप का रिमोट कंट्रोल आपके हाथ में ही रखें, दूसरे के हाथ में न दें। अर्थात् ऐसा न हो, कि सामने वाला व्यक्ति एक बटन दबाए, और आपको क्रोध आ जाए; आपका जीवन अस्त-व्यस्त हो जाए। बल्कि ऐसे अनुचित व्यवहारों का समाधान (उपेक्षा करना) अपने पास तैयार रखें। ऐसा अवसर आते ही उस समाधान का प्रयोग करें। क्रोध, लोभ, अभिमान और तनाव मुक्त होकर आनंदित जीवन जिएं।
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