मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी के द्वारा यज्ञोपैथी रिसर्च सेंटर का उद्घाटन
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी ने देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में यज्ञोपैथी रिसर्च सेंटर का उद्घाटन किया।
हरिद्वार 11 अप्रैल। मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी देवसंस्कृति विश्वविद्यालय पहुंचे। विवि में प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने पुष्पगुच्छ भेंटकर उनका आत्मीय स्वागत किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने यज्ञोपैथी रिसर्च सेंटर का उद्घाटन किया।
प्रतिकुलपति ने बताया कि यज्ञोपैथी रिचर्स सेंटर में विभिन्न बीमारियों के उपचार के संबंध में शोध किया जायेगा। अब तक किये गये शोधों में अनिद्रा, रक्तचाप, मानसिक आदि बीमारियों में यज्ञोपैथी एक कारगर चिकित्सा पद्धति साबित हुई है। उन्होंने बताया कि बीमारियों के अनुसार विभिन्न औषधीय जड़ी-बूटियों के मिश्रण से हवन सामग्री बनाई गयी हंै। उन्होंने बताया कि इन हवन सामग्रियों के मिश्रण द्वारा यज्ञ करने से आश्चर्यजनक परिणाम मिले हैं।
इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने एशिया के प्रथम बाल्टिक सेंटर सहित विवि के विभिन्न प्रकल्पों- स्वावलंबन कार्यशाला एवं कागज लघु उद्योग का अध्ययन किया। प्रज्ञेश्वर महादेव मंदिर में पूजा अर्चना कर राज्य के विकास की प्रार्थना की। इस दौरान मुख्यमंत्री ने विवि द्वारा चलाई जा रही विभिन्न गतिविधियों की सराहना की।
Recent Post
आत्मचिंतन के क्षण
आत्म निरीक्षण और विचार पद्धति का कार्य उसी प्रकार चलाना चाहिए जिस प्रकार साहूकार अपनी आय और व्यय का ठीक-ठीक खाता रखते हैं। हमारी दुर्बलताओं और कुचेष्टाओं का खर्च-खाता भी हो और विवेक सत्याचरण तथा आत...
आत्मचिंतन के क्षण
आत्म-निर्माण के कार्य में सत्संग निःसन्देह सहायक होता है किन्तु आज की परिस्थितियों में इस क्षेत्र में जो विडंबना फैली है, उससे लाभ के स्थान पर हानि अधिक है। सड़े-गले, औंधे-सीधे, रूढ़िवादी, भाग्यवाद...
आत्मचिंतन के क्षण
मनुष्य अपनी वरिष्ठता का कारण अपने वैभव- पुरुषार्थ, बुद्धिबल- धनबल को मानता है, जबकि यह मान्यता नितान्त मिथ्या है। व्यक्तित्व का निर्धारण तो अपना ही स्व- अन्त:करण करता है। निर्णय, निर्धारण यहाँ...
आत्मचिंतन के क्षण
ईश्वर उपासना मानव जीवन की अत्यन्त महत्वपूर्ण आवश्यकता है। आत्मिक स्तर को सुविकसित, सुरक्षित एवं व्यवस्थित रखने के लिए हमारी मनोभूमि में ईश्वर के लिए समुचित स्थान रहना चाहिए और यह तभी संभव है जब उसक...
आत्मचिंतन के क्षण
जो अपनी पैतृक सम्पत्ति को जान लेता है, अपने वंश के गुण, ऐश्वर्य, शक्ति,सामर्थ्य आदि से पूर्ण परिचित हो जाता है, वह उसी उच्च परम्परा के अनुसार कार्य करता है, वैसा ही शुभ व्यवहार करता ...
रचनात्मक आन्दोलनों के प्रति जन-जन में उत्साह जगाए
यह यज्ञभाव को जनजीवन में उतारने का चुनौतीपूर्ण समय है
विगत आश्विन नवरात्र के बाद से अब तक का समय विचार क्रान्ति ...
मनुष्य अनन्त शक्तियों का भाण्डागार है
मनुष्य अनन्त शक्तियों का भाण्डागार है। ये शक्तियाँ ही जीवन के उत्कर्ष का आधार हैं। शारीरिक, मानसिक, आत्मिक क्षमताओं का विकास, सफलता, सिद्धि, सुख और आनन्द की प्राप्ति सब इन्हीं आत्मशक्तियों के जागरण...
आत्मचिंतन के क्षण
जीवन का लक्ष्य खाओ पीओ मौज करो के अतिरिक्त कुछ और ही रहा होगा यदि हमने अपना अवतरण ईश्वर के सहायक सहयोगी के रूप में उसकी सृष्टि को सुन्दर समुन्नत बनाने के लिए हुआ अनुभव किया होता पर किया क्या जाय बु...
आत्मचिंतन के क्षण
एकाँगी उपासना का क्षेत्र विकसित कर अपना अहंकार बढ़ाने वाले व्यक्ति , ईश्वर के सच्चे भक्त नहीं कहे जा सकते। परमात्मा सर्व न्यायकारी है। वह, ऐसे भक्त को जो अपना सुख, अपना ही स्वार्थ सिद्ध करना च...
आत्मचिंतन के क्षण
किसी एक समुदाय के विचार किसी दूसरे समुदाय के विरुद्ध हो सकते हैं। किसी एक वर्ग का आहार -विहार दूसरे वर्ग के विपरीत पड़ सकता है। एक की भावनायें, मान्यतायें आदि दूसरे से टकरा सकती हैं। इसी विविधता, व...