नए ओडिशा के निर्माण के संकल्प के लिए हुआ सघन विचार मंथन
जन्मशताब्दी-2026 के उत्साह के साथ होगा लिए गए संकल्पों का क्रियान्वयन
रायगड़ा। ओडिशा
भगवान जगन्नाथ जी की भूमि ओडिशा में 7 से 10 मार्च 2024 की तिथियों में अखिल विश्व गायत्री परिवार का प्रान्तीय युग सृजेता शिविर सम्पन्न हुआ। 3 दिनों तक हुए गहन मंथन के बाद शिविर में भाग ले रहे लगभग 2000 युवाओं में अपने समाज को युगऋषि परम पूज्य गुरूदेव एवं परम वंदनीया माताजी के विचारों के अनुरूप प्रतिगामिता से उबारकर प्रगतिशीलता की ओर ले जाने के संकल्प उभरे। दिनांक 9 मार्च 2024 की सायं दीप महायज्ञ की मंगल वेला में अखिल विश्व गायत्री परिवार के युवा आदर्श आदरणीय डॉ. चिन्मय पण्ड्या जी एवं आदरणीया शेफाली जीजी का पहुँचना तथा युग संदेश देना हर कार्यकर्त्ता के लिए उत्साहवर्धक एवं ऊर्जादायी था।
नारी बढ़ेगी तो राष्ट्र सशक्त होगा
आदरणीया शेफाली जीजी ने ‘सशक्त नारी, समर्थ राष्ट्र’ विषय से अपना युग संदेश देते हुए कहा कि नारी परिवार, समाज और राष्ट्र की धुरी है। नारी आगे बढ़ेगी, तभी राष्ट्र सशक्त और सुखी होगा। इस संदर्भ में आदरणीया शेफाली जीजी ने नारी को शारीरिक-मानसिक रूप से स्वस्थ, शिक्षित, स्वावलम्बी और संस्कारवान बनाने के लिए आवश्यक योजनाओं की चर्चा की।
आंतरिक सामर्थ्य विकसित करो
आदरणीय डॉ. चिन्मय पण्ड्या जी ने युवाओं को बाहर की चकाचौंध से प्रभावित न हो कर साधना, संयम, स्वाध्याय और सेवा के आधार पर अपनी आंतरिक सामर्थ्य विकसित करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि परम पूज्य गुरूदेव के अंग-अवयवों को सतत उन्हीं के विचारों का चिंतन करते हुए इतना पवित्र, प्रखर, प्रामाणिक होना चाहिए कि वह हर व्यक्ति का विश्वास जीत सके, हर जरूरतमंद की सहायता के लिए खड़ा हो सके। स्वयं दीपक बनो और जग को जगमगाओ, यही दीपयज्ञ का संदेश है।
इससे पूर्व रायगड़ा पहुँचने पर आदरणीय डॉ. चिन्मय जी एवं आदरणीया शेफाली जी का भव्य स्वागत हुआ। उन्होंने सभी जिलों के प्रतिनिधियों से व्यक्तिगत मुलाकात की, कुशलक्षेम पूछी, युग निर्माण आन्दोलन के प्रति उनका उत्साह बढ़ाया।
ध्वजारोहण के साथ हुआ शुभारंभ
कार्यक्रम सम्पन्न कराने शान्तिकुञ्ज से श्री के.पी. दुबे, श्री आशीष सिंह एवं श्री शेषदेव बढ़ई की टोली पहुँची थी। चार दिवसीय प्रांतीय शिविर का विधिवत शुभारंभ 8 मार्च को ध्वजारोहण एवं वैदिक राष्ट्र वंदना के साथ हुआ। श्री संतोष जैना ने प्रान्त का प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। श्री सुधीर मिश्रा ने स्वागत उद्बोधन दिया तथा श्री शेषदेव बढ़ई ने सत्संकल्प पाठ दोहरवाया।
विविध विषयों पर मार्गदर्शन
प्रथम दिन ‘क्रान्तिदूत युग सृजेता’ विषय से संबोधित करते हुए श्री के.पी. दुबे जी ने कहा कि इस युग में चुनौतियाँ अनेक हैं, लेकिन चुनौतियों का सामना करने की सामर्थ्य केवल युवाओं में होती है। राम, कृष्ण, बुद्ध, विवेकानन्द जैसे अनेक उदाहरण प्रस्तुत करते हुए उन्होंने कहा कि मन:स्थिति अनुकूल हो तो बड़ी से बड़ी चुनौतियों का सामना किया जा सकता है। यह हम सबका सौभाग्य है कि परम पूज्य गुरूदेव, परम वंदनीया माताजी जैसी समर्थ सत्ता का शक्ति-संरक्षण हमारे साथ है। उन पर दृढ़ विश्वास रखते हुए युवा क्रान्ति की सनातन परम्परा को दोहराने की आवश्यकता है।
श्री दुबे जी ने एक अन्य विषय के अंतर्गत पूरे देश और विदेशों में राष्ट्र की तरूणाई को जाग्रत् करने में श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या जी द्वारा किए गए ऐतिहासिक कार्यों की विस्तृत जानकारी दी।
सुपर-50
संगठन शशक्तिकरण के लिए ‘सुपर-50’ योजना पर चर्चा हुई। श्री शेषदेव बढ़ई ने हर जिले से न्यूनतम 50 तेजस्वी युवाओं का चयन करने तथा जगह-जगह युवा मण्डलों का गठन करने के लिए मार्गदर्शन दिया।
श्रीमती उर्मिला जी ने ‘आओ गढ़ें संस्कारवान पीढ़ी’ विषय पर और श्री पवित्र सक्सेना ने ‘माँ की संस्कार शाला व बाल संस्कार शाला’ विषयों पर मार्गदर्शन दिया।
श्री आशीष सिंह ने मिशन के विभिन्न रचनात्मक कार्यक्रमों की जानकारी दी। इस सम्मेलन में रचनात्मक आन्दोलन समूह बनाकर ही समूह चर्चा की गई। विभिन्न आन्दोलनों के आधार पर 10 समूह बनाए गए, उन्हें क्रियान्वित करने संबंधी संकल्प लिए गए।
शिविर का समापन श्री के.पी. दुबे जी के विदाई उद्बोधन के साथ हुआ। इस अवसर पर हर कार्यकर्त्ता में एक नए ओडिशा के निर्माण का उत्साह झलक रहा था।
मंदिर-शक्तिपीठ के दर्शन
9 मार्च 2024 को ही डॉ. चिन्मय जी एवं शेफाली जीजी रायगड़ा स्थित श्री श्री मां मांझी घरिनी मंदिर पहुँचे और पूजन कर सभी के उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
गायत्री शक्तिपीठ रायगड़ा में माँ गायत्री का दर्शन-प्रणाम एवं आरती के बाद जनसंपर्क एवं देवस्थापना का क्रम सम्पन्न हुआ।
सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए
युवा युग सृजेता ओडिशा में कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का मंचन किया गया। सभी युग निर्माणी प्रेरणाओं से ओतप्रोत और मन-मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव डालने वाले थे।
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