बाल वाटिका_ (नर्सरी)
(Green corner/oxygen zone)
बाल संस्कार शाला के संचालक एवं आचार्य बहिनों/भाइयों,
आगामी वर्ष 2026 वन्दनीया माता जी एवं परम् पूज्य गुरुदेव द्वारा प्रज्ज्वलित अखण्ड दीप के शताब्दी वर्ष के रूप में आयोजित किया जाना है। इस कार्यक्रम में सभी वर्गों का योगदान लगना है। इसी सन्दर्भ मे शांतिकुंज के मार्गदर्शन में संचालित बाल संस्कार शालाओं के बालक-बालिकाओं हेतु वृक्ष गंगा अभियान के अन्तर्गत " बाल वाटिका " योजना तैयार की गई है ताकि नई पीढ़ी में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता उत्पन्न की जा सके तथा बच्चों को वृक्ष गंगा अभियान में शामिल किया जा सके।
बाल संस्कार शाला के संचालक/ आचार्य बाल संस्कार शाला के प्रत्येक बच्चे को अपने घर में “ बाल वाटिका " स्थापना हेतु प्रेरित करें तथा इन्ही वाटिका की स्थापना में सहयोग एवं मार्गदर्शन दें।
वाटिका का स्वरूप :-
1. अपने आंगन, छत अथवा बॉलकनी में एक 5 फुट × 5 फुट का स्थान निश्चित करना होगा।
2. संलग्न सूची अनुसार पौधों का चयन कर इस स्थान पर 50 पौधों को नर्सरी बैग में तैयार करना है।
3. नर्सरी बैग न्यूनतम 9" ऊँचे और 6" चौड़ाई के हों। पौधे इन थैलों में बीज लगाकर अथवा नर्सरी के तैयार पौधे लाकर लगाये जा सकते हैं।
4. पौधों को सुन्दर - आकर्षक विन्यास में रखा जाये तथा चारों ओर से घेर दें ताकि पौधे सुरक्षित रहें।
5. एक छोटी नाम वाटिका "बाल वाटिका" तथा छोटी पीली झंडी लगाएँ।
6. पौधों की नियमित रूप से सिचाई, निराई, गुड़ाई करते रहें।
बाल - वाटिका में तैयार पौधों को अपने जन्मदिन विवाहदिन अथवा किसी विशेष अवसर पर वृक्षारोपण हेतु प्रयोग किया जा सकता है। तथा शेष बचे पौधों को जन्मशताब्दी समारोह वर्ष 2026 में अपने क्षेत्र के वृक्षा रोपण हेतु दिया जा सकता है। पौधों का चयन करते समय ध्यान रखें कि स्थानीय प्रजाति के पौधे ही लगाएं। पर्यावरण को समृद्ध करने वाले, धार्मिक महत्व वाले, फलदार एवं औषधीय स्थानीय प्रजाति के पौधे ही लगाएं।
अभियान को व्यापक बनाने हेतु संस्कार शाला के आचार्य/ संचालक गण अभिभावकों को प्रेरित करें कि वे अपने बच्चों को इस कार्य में सहयोग करें। ताकि बच्चों में रचनात्मकता का विकास हो।
आइए अब हम बाल वाटिका तैयार करने की विधि और उसका स्वरूप जानने की कोशिश करें-
(1) सर्व प्रथम स्थान का चयन एवं उसकी तैयारी हेतु 5x5' का स्थान चिन्हित करते है इसे ईंट के घेरे से सजा लें। (स्थान चिन्हित कर दिखाएँ)
(2) अब पौधों का चयन करें पौधे स्थानीय जलवायु में उगने वाले जैसे-
(पौधों के नाम एवं उनकी पहचान बताएँ सूची अनुसार)
• अमरूद • आँवला • अमलतास • आम • अर्जुन • बरगद • बिल्व • बाँस • बहेड़ा • बेर• अशोक (सराका इंडिका) • बादाम • चंपा • हरड़ • महुआ • मौलश्री • हरसिंगार • इमली • नागकेसर • निर्गुण्डी • गूलर • नीम (कड़वी) • नीम (मोठी) • जामुन • कटहल • पीपल • कदंब • पलाश • सहिजना • कचनार • करंज • सीताफल • कनेर • अनार
(3) अच्छा हो ऐसे पौधे नर्सरी से क्रय करलें अन्यथा बीज बोकर भी तैयार किए जा सकते हैं। पॉली बैग इस प्रकार तैयार करें।
(पॉली बैग भरते मिट्टी तैयार करके दिखाना)
(4) अब पौधों को सुन्दर ढंग से जमाएँ- पीली झंडी लगाएँ तथा नाम पट्टिका लगाएँ
(5) समय- समय पर पानी देना एवं निराई करना अर्थात बैग में उग आये घास को उखाड़ कर अलग करना।
(6) आइए अब एक फोटो हो जाए
(BSS नाम, पता, फोटो शांतिकुंज अवश्य भेजें)
(7) बाल वाटिका के लाभ भी जाने-
'बाल वाटिका' के लाभ
1. बच्चे में रचनात्मक अभिरुचि का विकास
2. बच्चों को पर्यावरण संरक्षण हेतु जागरूक बनाना।
3. घर में प्राणवायु क्षेत्र (आक्सीजन जोन) तैयार करना ताकि स्वच्छ एवं पर्याप्त प्राणवायु उपलब्ध हो सके। पौधों से घनात्मक ऊर्जा मिलती है नकारात्मकता समाप्त होती हैं।
4. बच्चों को प्रकृति से जुड़ने का अवसर मिलता है।
5. धरती का ताप कम करने एवं प्रदूषण को कम करने में सहयोग मिलता है।
6. जैव विविधता का संरक्षण होता है।
7. बच्चों को शारिरिक श्रम का अभ्यास होगा और वो इतनी देर टीवी/मोबाइल के चंगुल से बाहर आयेंगे।
8. हमारे बच्चे विभिन्न प्रजाति के पौधों से परिचित होंगे।
अधिक जानकारी हेतु सम्पर्क करें :-
युवा प्रकोष्ठ, शान्तिकुंज
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