मातृशक्ति श्रद्धांजलि नवसृजन महापुरश्चरण
गृहे-गृहे गायत्री यज्ञ अभियान
अयं यज्ञोविश्वस्यभुवनस्यनाभिः अथर्ववेद 9.15.14
(यह यज्ञ ही संसार चक्र की धुरी है) विश्व की प्रथम एवं श्रेष्ठतम संस्कृति के माता- पिता गायत्री और यज्ञ हैं।)
युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य एवं स्नेह सलिला वन्दनीया माता भगवती देवी शर्मा ने अपने विचार क्रान्ति अभियान में यज्ञ को लोकशिक्षण का आधार बनाया है। व्यक्ति, परिवार, समाज और राष्ट्र में छाई विकृतियों तथा मूढ़ मान्यताओं के निवारण एवं मानव मात्र में श्रेष्ठताओं के संवर्धन में विगत 70 वर्षों में गायत्री परिवार ने आशातीत सफलता पाई है।
स्वच्छ मन, स्वस्थ शरीर और सभ्य समाज के निर्माण हेतु आध्यात्मिक मूल्यों के शिक्षण का सफल प्रयोग यज्ञ के माध्यम से ही सम्पन्न हुआ है। व्यक्तिगत पारिवारिक एवं सामाजिक जीवन में सुख, शान्ति, प्रगति एवं समृद्धि को प्राप्त करने हेतु युगऋषि ने यज्ञीय जीवन जीने की प्रेरणा दी है।
यज्ञ का शाब्दिक अर्थ त्याग, परोपकार, दान, देवपूजन एवं संगतिकरण होता है। लेन-देन का यज्ञीय चक्र सारे संसार में प्रकृति में चलता दिखाई देता है। इसी कारण वेदों ने यज्ञ को भुवन की नाभि माना है।
वन्दनीया माता भगवती देवी शर्मा की जन्म शताब्दी हेतु प्रारम्भ होने वाले 9 वर्षीय नवसृजन महापुरश्चरण के अंतर्गत गृहे गृहे गायत्री यज्ञ अभियान मुख्य आधार बनेगा।
एक दिन एक साथ एक कालोनी अथवा ग्राम में 11, 24, 51, या 108 घरों में गायत्री यज्ञ का आयोजन इन दिनों मध्यप्रदेश के अनेक जिलों में प्रारम्भ हुआ हैं। यह एक अनूठा प्रयोग है, जिसे राष्ट्रव्यापी बनाने की आवश्यकता है।
इसी की पूर्ति हेतु एक व्यवस्थित प्रक्रिया प्रस्तुत की जा रही है। देश के सभी शक्तिपीठ/प्रज्ञापीठ एवं मण्डल इसे प्रारम्भ कर 'मनुष्य में देवत्व एवं धरती पर स्वर्ग के अवतरण' की अवश्यंभावी प्रक्रिया को सफल बनाने में अपना योगदान प्रस्तुत करेंगे, ऐसा विश्वास है।
विशेष निर्देश - श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या जी
गृहे-गृहे गायत्री यज्ञ अभियान की क्रियाविधि
पूर्व तैयारी (प्रयाज):
• शक्तिपीठ/प्रज्ञापीठ/मण्डलों को कार्यक्रम के व्यवस्थित संचालन हेतु केन्द्र बना लें।
• क्षेत्र की आवश्यकता एवं संभावना अनुसार यज्ञ कर्मकाण्ड कराने वाले कार्यकर्ता चिन्हित कर लें, आवश्यक होने पर उनका एक या दो दिन का प्रशिक्षण संपन्न किया जा सकता है।
• कार्यक्रम रविवार प्रातः 9.30 से 12.30 के बीच सम्पन्न होगा। अतः दिनांक एवं स्थान निश्चित कर लें।
• एक दिन, एक समय, अलग-अलग घरों में यज्ञ हेतु किसी कॉलोनी अपार्टमेन्ट अथवा ग्राम का चयन करें।
• कॉलोनी या क्षेत्र में एक प्रमुख स्थल का निर्धारण जैसे- मन्दिर, गार्डन, क्लब, कम्युनिटी हॉल इत्यादि। जहाँ से कार्यक्रम संचालन होना है का चयन कर अनुमति प्राप्त कर लें।
• कॉलोनी और आस-पास के क्षेत्र मार्ग का निर्धारण (रैली हेतु) पूर्व से ही तय कर लें।
• जिस भी कॉलोनी में यज्ञ कराना है, वहाँ पर घर- घर जाकर प्रत्येक घर में व्यक्तिगत रूप से सम्पर्क करें तथा जिन परिवारों की सहमति मिलती है, उनका नाम, पूरा पता (मकान नं.), फोन नं. नोट कर लें और उन्हें यज्ञ के लिये क्या तैयारियाँ करनी है, भी बता दें। जैसे- पूजाघर की सफाई, पूजा की थाली सजाकर रखना और यदि कोई संस्कार करवाना हो, तो आवश्यकता अनुसार निर्देश दें निर्धारित स्थल, दिनांक और समय भी बता दें जहाँ सभी याजक व आचार्यों को एकत्रित होना है।
• क्षेत्रीय कार्यकर्ता द्वारा सहमत यजमानों की सूची (नाम, पूरा पता, फोन नं.) और दो स्थानीय कार्यकर्ता (Co-ordinator) के नाम, फोन नं. सहित, तैयार कर संचालन केन्द्र को दे दें।
• शक्तिपीठ पर स्वयंसेवी कार्यकर्ताओं द्वारा पूजन किट तैयार की जाये। जिसमें निम्रलिखित सामग्री उपलब्ध हो-
1 देव स्थापना चित्र
2 हवन सामग्री व समिधा - 2 पैकेट
3 यज्ञ कुण्ड
4 सुपारी-2, कलावा
5 गायत्री चालीसा व मंत्र लेखन पुस्तक
6 गायत्री मंत्र व सद्वाक्य स्टीकर
7 बलिवैश्व यज्ञ स्टीकर
8 साहित्य-पॉकेट बुक्स
9 शक्तिपीठ की सभी गतिविधियों व प्रमुख पर्वो की जानकारी सहित आमंत्रण पत्र ।
10 पत्रक -
यजमान व उनके परिवार का विवरण प्राप्त करने हेतु पत्रक
याजक का नाम, पते की स्लिप
• यज्ञाचार्य का नाम
प्राप्त दानराशि और हस्ताक्षर वाली परची
कार्यक्रम का आयोजन (याज):
सभी याजक व आचार्यगण कॉलोनी के निर्धारित स्थल पर प्रातः 9 बजे एकत्रित हों। सभी मिलकर निर्धारित मार्ग पर संक्षिप्त जन-जागरण रैली/कलशयात्रा जिसमें हमारी वार्षिक कार्ययोजना के अनुसार वर्षा ऋतु में वृक्ष कावड़ यात्रा, शीत ऋतु में साहित्य को सिर पर धारण कर यात्रा और ग्रीष्म ऋतु में कुरीति व नशा उन्मूलन के संदेश नुक्कड़ नाटक के माध्यम से संक्षिप्त जन जागरण रैली का आयोजन करें।
• देवपूजन, दिशानिर्देश व घरों में यज्ञ हेतु प्रस्थान के लिए सभी रैली/कलशयात्रा समापन के पश्चात् निर्धारित स्थल पर पहुँचें, जहाँ एक देवमंच, एक काऊन्टर टेबल, और याजक व आचार्यों की अलग- अलग बैठक व्यवस्था हो।
देवपूजन के बाद सभी को स्पष्ट दिशानिर्देश दिये जाएँ। तत्पश्चात् एनाऊंसमेन्ट होने पर प्रत्येक याजक एक आचार्य को पूजन किट के साथ घर ले जायें। यज्ञ के पश्चात् दिशानिर्देश के अनुसार यजमान की सम्पूर्ण जानकारी दिए गये पत्रक में भर लें तथा प्राप्त दानराशि को दान स्लिप में भरकर यजमान के हस्ताक्षर सहित काऊन्टर टेबल पर आचार्यों द्वारा जमा किये जायें।
• अपने संक्षिप्त उद्बोधन में गुरुसत्ता गायत्री माता, यज्ञ भगवान एवं युग निर्माण योजना के सम्बन्ध में प्रकाश डालें।
अखण्ड ज्योति, युग निर्माण, प्रज्ञा अभियान के सदस्य बनायें।
• देव स्थापना करायें।
• नियमित उपासना एवं स्वाध्याय का संकल्प करायें।
• दैनिक बलिबैश्व यज्ञ हेतु संकल्प करायें।
• शक्तिपीठ एवं शान्तिकुञ्ज आने हेतु आमंत्रण दें।
• अपने केन्द्र की गतिविधियों, पर्व आदि की संक्षिप्त जानकारी प्रदान करें।
• यदि कोई संस्कार हो तो संक्षिप्त रूप से सम्पन्न करायें।
• निर्धारित स्थल पर यज्ञ सम्पन्न होने के बाद सम्भव हो तो सामूहिक रूप से सभी कार्यकर्ताओं हेतु भोजन- प्रसाद (अमृतासन) की व्यवस्था बनालें।
अनुयाज :
चतुर्थ चरण- अनुदान रसीद व धन्यवाद पत्र और समीक्षा प्रत्येक यज्ञ के बाद, आय-व्यय की जानकारी प्रज्ञापीठ पर दे दें। तत्पश्चात् अनुदान रसीद व धन्यवाद पत्र शक्तिपीठ द्वारा जारी किया जायेगा।
• इसके बाद क्षेत्रीय कार्यकर्ता, यजमानों से सम्पर्क कर अनुदान रसीद व धन्यवाद पत्र उन्हें सौंपें तथा कार्यक्रम के अनुभव जानें। उन्हें अपने केन्द्र पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों एवं गतिविधियों की जानकारी दें। उन्हें आमंत्रित भी करें।
अंतिम चरण- अनुयाज क्रमः
1 सामूहिक दीपयज्ञ आयोजन
2 मण्डलों का गठन ।
3 साप्ताहिक स्वाध्याय एवं यज्ञ का क्रम बनाना।
• उसी माह के अंत मे अनुयाज कार्यक्रम के अंर्तगत सामूहिक दीपयज्ञ के माध्यम से मिशन में चल रही सभी गतिविधियों व प्रमुख पर्व से अवगत कराया जाता है।
साथ ही मण्डलों का गठन कर साप्ताहिक गतिविधियों (सत्संग, स्वाध्याय आदि) के लिए प्रेरित किया जाये और उस क्षेत्र में सक्रिय वरिष्ठ कार्यकर्ता (दो भाई या बहन) को मण्डलों के पोषण की जिम्मेदारी दी जाये।
इस प्रकार व्यक्ति निर्माण, परिवार निर्माण से समाज निर्माण की कार्ययोजना को मूर्तरूप देने हेतु अभियान वन्दनीया माताजी की जन्म शताब्दी के उपलक्ष्य में आयोजित नौ वर्षीय "मातृशक्ति श्रद्धांजलि नवसृजन महापुरश्चरण" में एक सार्थक श्रद्धांजलि होगी।