Magazine - Year 1945 - Version 2
Media: TEXT
Language: HINDI
Language: HINDI
आत्मिक सफलता प्राप्त करो।
Listen online
View page note
Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
कुछ व्यक्ति धन संग्रह को सफलता मानते हैं। कुछ मान प्रतिष्ठा को सफलता की अन्तिम सीढ़ी मानते हैं किंतु यदि तुम गंभीर चिंतन करके देखो तो अन्त में तुम्हें यही प्रतीत होगा कि परमानन्द की प्राप्ति ही वास्तविक सफलता है। आपने कितना ही धन संग्रह किया हो किन्तु क्या मालूम वह कब जाता रहे। हमें स्मरण रखना चाहिए कि स्थायी वस्तु हमारी आध्यात्मिक सफलता ही है, वही वाँछनीय है। किन्तु शोक! महाशोक!! कंकड़ों के बदले हम हीरों को फेंक देते हैं। क्षणिक सुख के लिए अपनी आत्मा के अटल आनन्द से वंचित रह जाते हैं। आत्मा के आनन्द, उस चिरंतन सुख की ओर हम देखते तक नहीं। संसार के अधिकाँश दुःखों का यही कारण है। इन्द्रिय वासना तथा मोह के वश में तुमने वह परमात्म तत्व विलीन कर दिया है जो तुम्हारा वास्तविक स्वरूप है। तुम्हारी आत्मा में महान शक्ति प्रस्तुत है। सब कुछ तुम्हारे अन्तःकरण में मौजूद है। वहीं सर्वोत्कृष्ट सफलता, स्थायी सफलता है। जब वह अनन्त शक्ति तुमको आलिंगन करेगी, तो तुम्हारी समस्त प्रतिकूलताएं नष्ट हो जाएंगी।
तुम ईश्वरीय प्रकाश के ज्योर्तिमय पिंड हो। उसे जानो और तुम फिर अपने को सारे संसार में फैला पाओगे। चारों ओर तुम्हारा ही मंजुल प्रकाश होगा।