Magazine - Year 1949 - Version 2
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Language: HINDI
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दीर्घ जीवन के रहस्य
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वैजिमन, आयु 114 वर्ष-कम खाओ। अधिक चबाओ और चूस-चूस कर पेय पदार्थों- जैसे दूध, गन्ने का रस, टमाटर का रस इत्यादि को पियो, सवारी पर कम बैठों और पैरों से खूब काम लो। गाली कम दो, जिद्दी, संतप्त, उद्दण्ड तथा तामसी विचारों से बचो और खर्राटों वाली गहरी नींद लो। पेट के साथ निर्दयता न करो और शाकाहारी बने रहो-इन तत्वों द्वारा तुम मृत्यु को बहुत दूर धकेल सकते हो।
लुई क्रेमर, आयु 134 वर्ष- गत पचास वर्ष से मैं खूब घूमता रहा हूँ। गत 23 वर्ष तो मैं नित्य प्रति 30-40 मील चला हूँगा। शराब पीना मैंने बहुत वर्षों से त्याग दिया है तथा चाय, काफी, एवं तम्बाकू से मुझे अत्यन्त घृणा हो चली है। सायंकाल दूध, भाजी तथा फल मेरे लिए पर्याप्त होते हैं। मैं बिना छने आटे की रोटी खाने का अभ्यास कर रहा हूँ। पेय पदार्थों में पानी, दूध तथा फलों (नारंगी, मौसमी, अनार विशेष रूप से) का रस मुझे बड़ा प्रिय है। जो जीवन से निराश हो चुके हैं उनको मेरी सलाह है- “घूमना शुरू करो, पाँवों से मेहनत कराओ और स्वास्थ्य के उच्चतम शिखर पर आरुढ़ हो जाओ।”
एक ईरानी, उम्र 126 वर्ष- “खूब घूमिये, खूब दूध पीजिए तथा खूब प्रसन्न रहिए। बेफिक्री तथा अलमस्ती दीर्घ जीवन की कुँजियाँ हैं मनुष्य को मारने वाला चिंता जैसी पिशाचिनी के अतिरिक्त अन्य तो साधारण भ्रान्तियाँ हैं। अतः हमें अपने विचार जीवन के सुखमय पहलू पर ही केन्द्रित करने चाहिए। तुम वासनाओं के गुलाम नहीं हो, चिन्ताएं तुम्हें विवश नहीं कर सकतीं। पाप एवं अज्ञान में इतनी शक्ति नहीं कि ये तुम्हारे ऊपर शासन कर सकें। “श्रम ही पूजा है।”