News
Blogs
Gurukulam
English
हिंदी
×
My Notes
TOC
“संघर्षों में जब मुख मोड़ा”
संघर्षों में जब मुख मोड़ा (kavita)
धर्म का प्राचीन और नवीन स्वरूप
सच्ची आध्यात्मिकता का मार्ग
राज-धर्म-शास्त्र का अन्तिम रहस्य
योगाभ्यास द्वारा अशुभ कर्मों का नाश
बेईमानी एक मूर्खता है।
विचारों द्वारा भी संसार का कल्याण किया जा सकता है।
परमात्मा ही प्रकाश है।
शुद्ध साधनों से ही श्रेष्ठ कार्य किये जा सकते हैं।
विश्व कल्याण का प्रतीक स्वास्तिक
निष्काम सेवा ही सच्चा यज्ञ है।
नवीन सामाजिक रचना कैसे हो?
उच्च पदवी पाकर आप नम्र और सत्यप्रेमी बनिये
सिनेमा और चरित्रहीनता
भयंकर भविष्य में सावधान
गायत्री उपासना के अनुभव
चमत्कार को नमस्कार
धर्म-प्रेमियों के सराहनीय प्रयत्न
गायत्री परिवार की नई शाखायें
आश्विन की नवरात्रि।
क्रान्ति का शंखनाद!
क्रान्ति का शंखनाद (kavita)
My Note
Books
SPIRITUALITY
Meditation
EMOTIONS
AMRITVANI
PERSONAL TRANSFORMATION
SOCIAL IMPROVEMENT
SELF HELP
INDIAN CULTURE
SCIENCE AND SPIRITUALITY
GAYATRI
LIFE MANAGEMENT
PERSONALITY REFINEMENT
UPASANA SADHANA
CONSTRUCTING ERA
STRESS MANAGEMENT
HEALTH AND FITNESS
FAMILY RELATIONSHIPS
TEEN AND STUDENTS
ART OF LIVING
INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
THOUGHT REVOLUTION
TRANSFORMING ERA
PEACE AND HAPPINESS
INNER POTENTIALS
STUDENT LIFE
SCIENTIFIC SPIRITUALITY
HUMAN DIGNITY
WILL POWER MIND POWER
SCIENCE AND RELIGION
WOMEN EMPOWERMENT
Akhandjyoti
Login
Search
Magazine
-
Year 1957 - Version 2
Media: TEXT
Language: HINDI
“संघर्षों में जब मुख मोड़ा”
Listen online
View page note
Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
Play
Pause
Stop
×
Add Note
Save Note
2
Last
Akhandjyoti - 1943 - May
2
Last
Other Version of this book
Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...
Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
...
Releted Books
Articles of Books
“संघर्षों में जब मुख मोड़ा”
संघर्षों में जब मुख मोड़ा (kavita)
धर्म का प्राचीन और नवीन स्वरूप
सच्ची आध्यात्मिकता का मार्ग
राज-धर्म-शास्त्र का अन्तिम रहस्य
योगाभ्यास द्वारा अशुभ कर्मों का नाश
बेईमानी एक मूर्खता है।
विचारों द्वारा भी संसार का कल्याण किया जा सकता है।
परमात्मा ही प्रकाश है।
शुद्ध साधनों से ही श्रेष्ठ कार्य किये जा सकते हैं।
विश्व कल्याण का प्रतीक स्वास्तिक
निष्काम सेवा ही सच्चा यज्ञ है।
नवीन सामाजिक रचना कैसे हो?
उच्च पदवी पाकर आप नम्र और सत्यप्रेमी बनिये
सिनेमा और चरित्रहीनता
भयंकर भविष्य में सावधान
गायत्री उपासना के अनुभव
चमत्कार को नमस्कार
धर्म-प्रेमियों के सराहनीय प्रयत्न
गायत्री परिवार की नई शाखायें
आश्विन की नवरात्रि।
क्रान्ति का शंखनाद!
क्रान्ति का शंखनाद (kavita)