Magazine - Year 1961 - Version 2
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Language: HINDI
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कुछ आवश्यक सूचनाएँ
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(1) इस अंक के साथ अधिकांश पाठकों का चन्दा समाप्त हो जाता है। अखण्ड ज्योति’ की वी पी बिना मंगाई नहीं भेजी जाती। क्योंकि इसमें बिलकुल स्वयं ॥) पोस्टेज अधिक देना है। 3) के स्थान पर 3॥) लगते हैं। इस लिए वार्षिक चन्दा 3) मनी आर्डर से ही भेजना उचित है।
(2) बहुत देर से चन्दा भेजने पर पिछले अंक समाप्त हो जाते हैं तब अधूरी फाइलें ही पाठकों की रह जाती है। इसलिये ध्यानपूर्वक अपना चन्दा दिसम्बर में ही भेज देना चाहिये।
(3) जो सज्जन किसी बीच के अंक से ग्राहक बने हैं, वे सन् 62 के शेष महीनों का चन्दा।) प्रति अंक के हिसाब से और भेजकर अगले वर्ष का हिसाब चुकता कर लें। जनवरी से दिसम्बर तक का हिसाब दिखने में ही सुविधा रहती है।
(4) मनी आर्डर कूपन पर अपना पूरा पता स्पष्ट अक्षरों में लिखना चाहिये। पुराने ग्राहक अपना ग्राहक नम्बर लिख दिया करें और जो नये हों वे ‘नये ग्राहक’ शब्द कूपन पर लिख देने की कृपा किया करें।
(5) अखण्ड ज्योति’ हर महीने पहली तारीख को दो बार जाँच कर भेजी जाती है। यदि डाक की गड़बड़ी से कोई अंक गुम हो जाये तो उसी महीने सूचना देकर दुबारा माँग लेना चाहिये। कई महीने बाद सूचना देने से पुराने अंक समाप्त हो जाने पर उन्हें दुबारा भेज सकना संभव नहीं रहता। पता बदलना हो तो केवल नया पता लिख देने मात्र से काम नहीं चल सकता। पुराना पता और नया पता दोनों ही लिखने चाहिये और ग्राहक नम्बर भी लिख देना चाहिये।
(6) अखण्ड ज्योति के मिशन का अधिकाधिक प्रसार उनकी ग्राहक संख्या बढ़ने पर है। पत्रिका की उपयोगिता पर ड़ड़ड़ड़ जो सच्चे मन से उसे प्रेम करते हों ड़ड़ड़ड़ है कि इसकी ग्राहक संख्या बढ़ाने का ड़ड़ड़ड़ एक-दो ग्राहक बढ़ा देना किसी भी व्यक्ति के लिये कुछ कठिन कार्य नहीं है।
साधना सम्बन्धी-
(7) ता0 1 से 9 फरवरी तक ड़ड़ड़ड़-योग के समाधान के लिये सभी परिजन कुछ न कुछ विशेष उपासना करने का कार्यक्रम बनावें। जिनसे बन पड़े वे उन दिनों 24 हजार का एक अनुष्ठान करें जहाँ संभव हो सके वहाँ उन दिनों सामूहिक जप-अनुष्ठान भी किये जायें।
(8) अक्टूबर अंक में प्रस्तुत पंचसूत्री-साधना पूरे या अधूरे रूप में जिनमें आरम्भ की हो वे उसकी सूचना दे देंगे तो उनके मार्ग-दर्शन का विशेष रूप से ध्यान रखा जायेगा। शक्ति ड़ड़ड़ड़ साधना में जिनकी अभिरुचि हो वे उसके लिये पत्र-व्यवहार करें
(9) साधना संबंधी पत्रोत्तर के लिये जवाबी पत्र भेजना चाहिये और अपना पूरा पता स्पष्ट अक्षरों में लिखना चाहिये।
(10) जिन्हें कुछ परामर्श के उद्देश्य से मथुरा आना हो वे अपने आने की तिथियों के संबन्ध में पूर्व स्वीकृति प्राप्त करने के बाद ही आवें, क्योंकि अब तपोभूमि में एक समय में 10 से अधिक व्यक्तियों को नहीं आने दिया जाता, जिससे ड़ड़ड़ड़ में समुचित समय न मिलने की कठिनाई न हो दूसरे हमें भी कभी-कभी बाहर जाना पड़ता है, जिससे आगन्तुकों को निराश लौटना पड़ता है। इस लिये आने से पूर्व स्वीकृति प्राप्त कर लेना उचित है।