Magazine - Year 1963 - Version 2
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Language: HINDI
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सच्चा आनन्द प्राप्त करने का मार्ग
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कर्म करना—कर्तव्य धर्म का पालन मनुष्य का धर्म है। इसको छोड़ने की बिल्कुल आवश्यकता नहीं है। पर काम करते समय आत्म-भाव को न भुलाना चाहिए और इसके लिए प्रतिदिन नियमपूर्वक ध्यान करना भी जरूरी है। इस प्रकार के ध्यान से आत्मिक विचारधारा दूसरे कार्य करते समय भी बहती रहेगी। इससे दुनिया को मनुष्यों एवं घटनाओं को तुम दूसरी ही दृष्टि से देखने लगोगे। इससे स्वार्थ भी छूट जायगा और दुनिया के बन्धन भी कष्ट नहीं देंगे। सच्चा आनन्द प्राप्त करने का यही मार्ग है। संसार में कोई जाने या अनजाने आनन्द प्राप्त करने की ही चेष्टा कर रहे हैं। कोई शराब पीकर उस आनन्द का भागी बनना चाहता है और कोई उत्तम मार्ग का अवलम्बन करके उसे प्राप्त करता है। आनन्द ही मनुष्यों का सच्चा और सहज स्वभाव है। सभी लोग ऐसा निर्मल सुख चाहते हैं जिसमें किसी दुःख का पुट न हो। सभी ऐसे ही आनन्द की खोज में हैं। पर यह केवल उन्हीं को मिल सकता है जो कर्म और ज्ञान का—लौकिकता और आध्यात्म का उचित सामञ्जस्य करने में सक्षम होते हैं।
—महर्षि रमण