Magazine - Year 1964 - Version 2
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Language: HINDI
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सच्ची इबादत
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खलीफा उमर एक दिन मगरब को नमाज पढ़ रहे थे। उनने देखा कि—आसमान में एक फरिश्ता मोटी बही बगल में दबाये उड़ा चला आ रहा है। उनने फरिश्ते को पुकारा और उस मोटी बही में क्या लिखा है यह पूछा? फरिश्ते ने कहा—’इसमें उन लोगों की नामावली है जो खुदा की इबादत करते हैं।” खलीफा को आशा थी कि उसमें उनका नाम जरूर होगा। इसलिए उनने पूछा—भाई, जरा देखना मेरा भी नाम इस बही में है न? सारी बही उलट-पलट कर देखने पर भी जब उनका नाम न मिला तो फरिश्ते ने शिर हिला दिया। खलीफा बहुत निराश हुए। जीवन भर खुदा के लिए काम करते रहने पर भी उनका नाम इबादत करने वालों की नामावली में शामिल न हो सका। कुछ दिन बाद उसने फिर एक ऐसे ही फरिश्ते का आकाश में उड़ते देखा जिसके हाथ में एक छोटी-सी पुस्तक थी। खलीफा ने उसे भी पुकारा और उस पुस्तक में क्या लिखा है यह पूछा? फरिश्ते ने कहा—’इसमें उन लोगों के नाम दर्ज हैं जिनकी इबादत खुदाबन्द करीम करते हैं।’ खलीफा को बड़ा आश्चर्य हुआ कि क्या कोई ऐसे लोग भी हो सकते हैं जिनकी इबादत खुदा खुद करे। पुस्तक का पहला पन्ना खोला गया तो उसमें सबसे पहला नाम खलीफा उमर का ही था। फरिश्ते ने कहा—जो लोग खुदा के मकसद को पूरा करने में, उसकी दुनिया को अच्छा बनाने में लगे रहते हैं उनकी भक्ति सचमुच इतनी ही ऊँची है कि खुदा को उनकी इबादत खुद करनी पड़े।