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मानव जीवन को सार्थक बनायें
उसकी प्रार्थना में बड़ा बल है
शास्त्र चर्चा
सुख के आधार वे स्वयं हैं
आत्म-भावना से आत्म-कल्याण
आत्म विकास की विचार-साधना
लोक का नहीं, परलोक का भी ध्यान रखें
उस मोह को धन्यवाद दीजिए
संयमी ही आत्म-जयी होते हैं
अशांति से चिर शान्ति की ओर
समता में सब की व्यवस्था है ।
मनुष्य जीवन का अमूल्य यात्रा-पथ
मैत्री भावना का विकाश करे
आत्मघात न करें-इसी में आपका भला है
सर्वोत्तम विभूति-विद्वता
श्रम ही नहीं विश्राम भी
गृहस्थ की समुन्नति के लिए समय का सदुपयोग
सत्साहित्य से शक्ति और समुन्नति
बच्चों को व्यवहारकुशल बनाइये ।
एकाग्रता व संलग्नता से ही लक्ष्य सिद्घ होगी ।
युग-निर्माण आंदोलन की प्रगति
संकल्प-गीत
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Year 1965 - Version 1
Media: SCAN
Language: HINDI
मनुष्य जीवन का अमूल्य यात्रा-पथ
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22
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Other Version of this book
Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...
Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
...
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