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दुःख की निवृत्ति ज्ञान से ही संभव-योग वशिष्ठ
प्रेम जगत् का सार और कुछ सार नहीं
प्रेम की आश, प्रेम की प्यास पशु पक्षियों के भी पास
यह रही सच्ची भावना की शक्ति सामर्थ्य
अपूर्णता से पूर्णता की ओर
विभूतियाँ कुपात्र को नहीं- सुपात्र को
हम आसुरी वृत्तियों को नहीं देव वृत्तियों को अपनायें
पवित्रीकरण- प्रकृति की आद्यप्रक्रिया
आत्मा- शरीर नहीं शाश्वत और स्वतंत्र द्रष्टा
जितना सूक्ष्म तत्त्व-उतना अधिक महत्त्व
शरीर के मूल्य केवल सत्ताईस रुपये
जिज्ञासा और धैर्य में आत्म ज्ञान की पात्रता सन्निहित
आत्म सुधार-विश्व कल्याण का सबसे सरल मार्ग
खेती करिये हवा में- मन भावे सो खाइये
वर्तमान की मुट्ठी में भूत और भविष्य दर्शन
अचेतन कुछ भी नहीं- जड़ भी चेतन
आत्म चेतना की विलक्षण आकृतियाँ-प्रकृतियाँ
जर्रा-जर्रा बोल रहा है- जियो और जीने दो
सत्य को सर्वोपरि मानने वाला सत्यकाम
निरहंकारी ही पापों से बच सकता है
वैज्ञानिक कसौटी पर फेल- आधुनिक फैशन
संयुक्त राष्ट्र संघ संयुक्त राज्य की ओर
एक भाई की खोज
चक्कर चौरासी लाख योनियों का
हृदय परिवर्तन
काम वासना का अधिकतम् १/२३ वाँ हिस्सा
इस वर्ष के गायत्री यज्ञों एवं युग निर्माण सम्मेलनों के कार्यक्रम
अपनों से अपनी बात- आगामी २०० दिन जिनमें २० वर्ष का काम निपटाना है
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-
Year 1970 - Version 1
Media: SCAN
Language: HINDI
काम वासना का अधिकतम् १/२३ वाँ हिस्सा
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56
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Other Version of this book
Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...
Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
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