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भगवान् को बार-बार याद करो-रामकृष्ण परमहंस
पराजित मृत्यु-अपराजित आकाशज
ईश्वर का प्रतिबिम्ब प्रेम है, प्रेम हृदय आलोक
मनुष्य देह में भरा विलक्षण विराट्
अन्तरिक्ष से लेकर वृक्ष वनस्पति तक फैली आत्मा
दृश्य और अदृश्य का संधिद्वार स्वप्न
आत्मजयी विजयी भव
बुद्धि के सुन्दरतम उपयोग ही धर्म
आर्जूये दीदे जानाँ बज्म में लाई मुझे
त्राटक द्वारा मनःशक्तियों का केन्द्रकरण और सम्मोहन
प्राण परिवर्तन की अद्भुत घटना
धर्मोरक्षति रक्षताः
प्रगति पथ पर निरन्तर अग्रसर रहें
पश्चाताप प्रक्रिया बन्द न की जाये
समर्थता से भी बढ़कर सामूहिकता
कैन्सर चाहिए तो सिगरेट पिये
शास्त्रादपि-शरादपि
प्राणिमात्र से यथायोग्य व्यवहार करें
जीव जन्तुओं की विलक्षणतायें- आत्म चेतना की माया
आध्यात्मिक काम विज्ञान-६
सतयुग की लाली- सम्वत् १९८१ में आ ली
अपनों से अपनी बात-हमारा कार्यभार और उसका चार भागों में विभाजन
तुमने क्रान्ति मशाल जलाई (कविता) -माया वर्मा
परिजन अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करें
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-
Year 1971 - Version 1
Media: SCAN
Language: HINDI
भगवान् को बार-बार याद करो-रामकृष्ण परमहंस
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2
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Other Version of this book
Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...
Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
...
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