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गलोगे तो ही उगोगे
बलिदान से दुभक्ष निवारण
समष्टिगत उत्कृष्टता ही धर्म का प्राण है
अध्यात्म का आधा और परिणाम
मरने के बाद भी आत्मा का अस्तित्व बना रहता है
अन्तःस्रावी ग्रन्थियों की अद्भुत और अतिमानवी क्षमता-२
स्वर्ग और मुक्ति का लाभ समस्त मानव समाज को मिले
बुद्धि पर धर्म का अंकुश रखा जाय
मस्तिष्क की अद्भुत क्षमताएँ, जिन्हें हानें और बढ़ायें
गाले वाली बालू एक रहस्य
विषाणुओं को मारने की ही बात न सोची जाय
हत्यारे की आत्म-प्रताड़ना
प्रसन्न रहना एक अच्छी आदत
कृतज्ञता और प्रतिदान से रहित होकर न जियें
अगली शताब्दी का भविष्य कथन
अदृश्य शक्तियों का द्रष्टा जगत् पर प्रभाव
विज्ञान की तरह दर्शन में भी उत्क्रान्ति होगी
धरती की हत्या करके बचेंगे हम भी नहीं
अचेतन को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता
शब्द ब्रह्म की नाद-साधना
गरीबी उदार दान वीरता में बाधक नहीं
असन्तुलन का तूफानी निराकरण
आग्नेय-उद्वेग का समाधान वरुण संस्कृति से
प्रकृति प्रवाह के साथ तालमेल बिठाना भी साधना का एक उद्देश्य
आत्म बोध और आत्मदेव की उपासना
उपवास स्वास्थ्य रक्षा का महत्त्वपूर्ण आधार
शीतल आचरण से ही समस्वरता सम्भव है
अपनों से अपनी बात: समाज-निर्माण अपने र्कत्तव्य का तीसरा चरण
आज पुलकित प्राण मेरे
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-
Year 1973 - Version 1
Media: SCAN
Language: HINDI
विषाणुओं को मारने की ही बात न सोची जाय
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18
20
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Other Version of this book
Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...
Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
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समष्टिगत उत्कृष्टता ही धर्म का प्राण है
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आज पुलकित प्राण मेरे