Magazine - Year 1975 - Version 2
Media: TEXT
Language: HINDI
Language: HINDI
ईश्वर का अस्तित्व असिद्ध नहीं हैं।
Listen online
View page note
Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
ईश्वर दिखाई नहीं देता इसलिए उसे न माना जाय, यह कोई युक्ति नहीं हैं। अनेकों वस्तुएँ ऐसी है जो आँख से नहीं दीखती, फिर भी उन्हें अन्य आधारों से अनुभव करते और मानते हैं। कोई वस्तु नेत्रों के बहुत समीप हो तो भी वह नहीं दीखती। अपने पलक या आँखों में लगा काजल अपने को कहाँ दीखता है।
ईश्वर के अस्तित्व से केवल इस कारण इनकार करना कि वह आज के विकसित विज्ञान या बुद्धिवाद की, कसौटी पर खरा नहीं उतरता कोई कारण नहीं। प्रत्यक्ष के आधार पर तो यह भी प्रमाणित नहीं किया जा सकता कि हमारा पिता वस्तुतः कौन है। माता की साक्षी ही इसका प्रमाण मान लिया जाता है।
मानव−जीवन की अनेकों महत्वपूर्ण अवस्थाएं उस विज्ञान के आधार पर निर्भर हैं जिसे अध्यात्म विज्ञान कहते हैं। पदार्थ विज्ञान से नहीं अध्यात्म विज्ञान से ईश्वर का अस्तित्व सिद्ध होता है। ईश्वर का अवलम्बन करके ही मानव जाति की अब तक की प्रगति सम्भव हुई हैं। प्रेम, करुणा, उदारता, दान, संयम, सदाचार, पुण्यपरमार्थ जैसे सद्गुणों का विकास आस्तिकता के आधार पर ही सम्भव हो सका है और इन्हीं गुणों के द्वारा सामाजिकता की प्रवृत्ति बढ़ी हैं। यदि इस महान आदर्श का परित्याग कर दिया जाय तो व्यक्ति का आन्तरिक स्तर इस प्रकार का ही बनेगा जिससे द्वेष, घृणा, संघर्ष और आतंक का मार्ग अपनाने के लिए मन चलने लगे।