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चल तू चलता रहा एक एकाकी
चल तू चलता रहा एक एकाकी (kavita)
शरीर का नहीं आत्मा का भी ध्यान रखें।
प्रेम के अभाव ने ही हमें प्रेत पिशाच बनाया है।
सजातीय मिलन (kahani)
जीवन जड़ तत्वों का उत्पादन नहीं है।
मनुष्य की मनस्विता प्रधान (sandesh)
विज्ञान का उपनयन संस्कार कराया जाय
शरीर और मन का संचालन करने वाली उपासना।
भ्रमजाल से छूटे मायामुक्त हों
छल कपट से आत्मा को कष्ट होगा (kahani)
यहाँ सब कुछ चल रहा है अचल कुछ भी नहीं।
धन की प्रत्येक इकाई (kahani)
चला चली की दुनिया में अविचल की प्राप्ति करें
Quotation
जिन्दगी को कलात्मक दृष्टि से जिया जाय
रेशम के कीड़े (kahani)
सदुद्देश्य के साथ सतर्कता भी आवश्यक है।
मृतात्मा की सत्ता और क्षमता
अपनी पृथ्वी तक के बारे में हम कितना कुछ जानते हैं।
छोटी भूल की बडी़ हानि (Kahani)
सफलता प्राप्त करने के लिये अभीष्ट योग्यता सम्पादित करें
समुद्र ने केवल लेना ही जाना है (kahani)
निरीक्षण और नियंत्रण आदतों का भी करें
प्रगति के जोश में हम विकृति के गर्त में न डूब मरें
Quotation
परिवार संस्था को टूटने से बचाया जाय
स्वास्थ और दीर्घ जीवी रहना अति सरल है यदि......
अन्वेषक प्रो0 मायर्स (kahani)
शक्ति का उपार्जन ही नहीं सदुपयोग भी
बड़ी डींगें न हाँकिए(Kahani)
सुख की अपेक्षा आनन्द पाना श्रेष्ठ भी है और सरल भी
भाग्यवाद ओर अहितकर भी और अवास्तविक भी
सूक्ष्म शक्ति की साक्षी- होम्योपैथी
आधि−व्याधियों के आक्रमण और उसका बचाव
अपनों से अपनी बात
मैं आश्रित तुम आश्रयदाता
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Year 1975 - Version 2
Media: TEXT
Language: HINDI
चल तू चलता रहा एक एकाकी
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