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देवता— डॉ. राधाकृष्णन्
संगति का प्रभाव परिणाम
सर्वशक्तिमान माता-पिता की सन्तान
भवति भिक्षां देहि
मनोनिग्रह के लिए उपासना की आवश्यकता
समर्पण योग की आत्म साध्याना
इन्दि्रय बोध अप्रमाणिक
महत्त्व प्रवृत्तियों का नहीं उनके उपयोग का है
देवत्व, दुर्बल न पड़े असुरता पर हावी रहे
वृक्ष वनस्पति के प्रति श्रद्धा अक्षुण्ण रहे
जीवन साधना के १४ स्वर्णिम सूत्र
विज्ञान का अधूरापन दूर किया जाय
जितने सितारे उतने रहस्य
अतीत के समृद्धि ज्ञान की उपेक्षा न करें
आस्थाएँ वकृत होने से रोग, शोक बढ़ते हैं
विवेक रहित बुद्धि से काम न चलेगा
पराज्ञान का कुद अर्थ भी निकालें
अपने पैरों आप कुल्हाड़ी न मारें
सिर दर्द का सिर दर्द
एकाग्रता के सम्पादन के लिए त्रिविध योग साधन
रोग निवारण में अग्हिोत्र का उपयोग
हम खुली सीपाी सहस्रों जन्म की (कविता) -लाखन सिंह भदौरिया
सनातन धर्म और उसका आधार
हम खुली सीपी सहस्रों जन्म की
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Year 1978 - Version 1
Media: SCAN
Language: HINDI
भवति भिक्षां देहि
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Other Version of this book
Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
...
Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
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