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साधना और सिद्ध का तत्त्वदर्शन
शम्भवाय च मयो भवाय च
क्या जगत् वस्तुतः मिथ्या ही है
मरणोत्तर जीवन एक सच्चाई-एक तथ्य
अन्तःप्रकाश का दर्शन-आन्तिरिक शुद्धि से
पूर्व जन्म के संचित संस्कार, विलक्षण प्रतिभा के उपहार
धर्मों विश्वस्य जगतः प्रतिष्ठा
मन को सन्तुलित और सुव्यवस्थित रखा जाय
हीनाचार परीतात्मा
सृजन और ध्वंस का अविराम क्रम
इच्छा शक्ति का साधना से अदृश्य दर्शन
ज्ञान का उद्देश्य-पीड़ा और पतन का निवारण
विकृत चिन्तन-दुःखी जीवन
पराजित और श्रद्धानत्
प्राकृतिक प्रकोपों का कारण और निवारण
अन्तःकरण की सुन्दरता, साधना से बढ़ती है
स्वल्प साधनों में सौभाग्य
सिद्धियाँ न तो आवश्यक है न लाभप्रद
स्वास्थ्य-नदी का प्रवाह
मौत इस तरह आगे धकेली जा सकती है
धन का संग्रह नहीं, सदुपयोग किया जाय
आर्थिक प्रगति नैतिक प्राण प्रतिष्ठा से ही संभव होगी
सामूहिक प्राथ्रना की विशिष्ट प्रतिक्रिया
नवयुग का अरुणोदय-युग शक्ति का अवतरण
संगति से गुण होत है-संगति ले गुण जाहि
अपनों से अपनी बात-शक्ति पीठों का निर्माण और प्रव्रज्या का अभिवर्धन साथ-साथ
वातारवरण परिशोधन (कविता) -माया वर्मा
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-
Year 1979 - Version 1
Media: SCAN
Language: HINDI
साधना और सिद्ध का तत्त्वदर्शन
2
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Other Version of this book
July 1979
Type: TEXT
Language: HINDI
...
Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
...
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