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मानवी प्रगति आकांक्षाओं के स्तर पर निर्भर
मर्वस्या उन्नतेमूलं महता संग उच्यते
विभूतियों का उद्गम अपना ही अन्तरंग
प्रगति की प्रसन्नता की जड़े हमारे अपने ही अन्दर
सफलताओं की जननी म की धरती संकल्प शक्ति
नीति उपार्जन की बाइबिल शिक्षा
अपने अन्त: के उपेक्षित कल्पवृक्ष को जगाये
मनोबल द्वारा आंतक का शमन
अनुसन्धान चेतना क्षेत्र का भी होना चाहिए
तंत्र अध्यात्म क्षेत्र का भी होना चाहिए
अगली पीढ़ी समझदारों की होगी
मानवी मस्तिष्क -एक जादुई पिटारा
अपंग जिसने समर्थ पीछे छोड़े दिये
निद्रा और स्वप्न का मध्यवर्ती तारतम्य
मृत्यु से वापस लौटने वालों के अनुभव
विचित्रताओं से भरापूरा-यह संसार
काया-कल्प कितना सम्भव कितना असम्भव
चिकित्सा के लिए जड़ी-बूटियों की ओर लौटें
ब्रह्म विद्या के अनुरूप ज्ञान गंगा का आवगाहन
अपनों से अपनी बात
आत्मबल सभी प्रज्ञा परिजन अर्जित करें
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Year 1983 - Version 1
Media: SCAN
Language: HINDI
मर्वस्या उन्नतेमूलं महता संग उच्यते
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Other Version of this book
Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
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Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
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