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सम्पत्ति बनाम सदाशयता
निष्काम सेवा ही सच्ची सेवा
उसकी प्राथर्ना में अलौकिक बल है
पाने से पूर्व कुछ करना भी होता है
आस्तिकता विवेकवानों को फलती है
धर्म धारणा का प्रथम 'धृति'
सिद्धि के चार आधार, अवलम्बन
धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की वास्तविकता-१
श्रद्धा और विचारणा की शक्ति सामर्थ्य
शब्दार्थ में न उलझें, भावार्थ में समझें
मरण काल की व्यथा
व्यक्तिव को शालीनता से सँजोएँ
बहिमुर्खी ध्यान एंव उसका प्रयोग व्यवहार
काया की स्थूल परत एंव ध्वनि प्रयोग
अपने मन को साधिए सुसंस्कारी बनाइये
सूक्ष्म शरीर के उत्कर्श की पृष्ठभूमि
प्राणाकषर्ण प्रयोग का तेजस् का जागरण
रंगों का प्रभाव और ध्यान
प्रसुप्त पड़ा अतीन्द्रिय सामर्थ्य का जखीरा
अध्यात्म का प्राथमिक पाठ
प्रेतात्माओं का अस्तित्व कितना प्रामाणिक
साहस और भय की प्रतिक्रिया
साँप से न तो भयभीत हों, न उसके जैसा बनें
वनौषधियों से दिव्य शक्ति का अभिवद्धर्न
अगला समय गिरने का नहीं उठने का है
आतुरता की आत्मघाती विडम्बना
यह अदूरदशिर्ता मनुष्य जाति को ले डूबेगी
बुढ़ापा प्रसन्न रहने का समय है
शब्द शक्ति से होगी अब रोगों की चिकित्सा
राष्ट्रीय एकता सम्मेलन उनकी देव दक्षिणा अब रचनात्मक संकल्प को पूरा करने की बारी है
अपनों से अपनी बात-गुरुतत्त्व की गरिमा जानें व जुड़ने का प्रयास करें
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-
Year 1987 - Version 1
Media: SCAN
Language: HINDI
अध्यात्म का प्राथमिक पाठ
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Other Version of this book
Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
...
Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
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सम्पत्ति बनाम सदाशयता
निष्काम सेवा ही सच्ची सेवा
उसकी प्राथर्ना में अलौकिक बल है
पाने से पूर्व कुछ करना भी होता है
आस्तिकता विवेकवानों को फलती है
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