Magazine - Year 1987 - Version 2
Media: TEXT
Language: HINDI
Language: HINDI
लोमड़ी (Kahani)
Listen online
View page note
Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
भोर हुआ तो लोमड़ी आंखें मलती हुई उठी। पूँछ उसकी उगते सूरज की ओर थी। छाया सामने पड़ रही थी। अपनी लम्बाई और ऊँचाई देखकर लोमड़ी को अपने असली स्वरूप का आभास आज पहली बार हुआ था।
सोचने लगी वह बहुत बड़ी है। इतनी बड़ी कि समूचे हाथी के बिना उसका पेड़ भरेगा नहीं। सो हाथी का शिकार करने वह घने जंगल में घुसती चली गई। भूख जोरों से लग रही थी। पर छोटी खुराक से काम क्या चलता। उसे हाथी पछाड़ने की सनक सवार थी।
भूखी लोमड़ी भाग दौड़ में थक-थक कर चूर चूर हो गई। तब तक दोपहर भी हो गई। सुस्ताने के लिए वह जमीन पर बैठी तो उसका सारा नजारा ही बदल चुका था। छाया सिमटकर पेड़ से नीचे जा छिपी थी। इस नई असलियत को देखकर लोमड़ी की चिन्ता बदल गई, वह सोचने लगी इतने छोटे आकार के लिए तो एक छोटी मेंढकी भी बहुत है।
भूखी लोमड़ी भाग दौड़ में थक-थक कर चूर चूर हो गई। तब तक दोपहर भी हो गई। सुस्ताने के लिए वह जमीन पर बैठी तो उसका सारा नजारा ही बदल चुका था। छाया सिमटकर पेड़ से नीचे जा छिपी थी। इस नई असलियत को देखकर लोमड़ी की चिन्ता बदल गई, वह सोचने लगी इतने छोटे आकार के लिए तो एक छोटी मेंढकी भी बहुत है।