Magazine - Year 1991 - Version 2
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Language: HINDI
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नवयुग का नवोन्मेष (Kahani)
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लोकमान्य तिलक ने एक शिक्षण संस्था बनाई। उससे वे मात्र 30 रुपये वेतन लेते थे और उसी में अपने परिवार का पूरा खर्च चलाते थे।
मित्रों ने कहा इतने कम से तो आपको कभी कफ न का भी इन्तजाम न हो सकेगा।
तिलक ने कहा जीवित रहने तक ही प्रबन्ध करने की मेरी जिम्मेदारी है। काठी कफ़न की चिन्ता वे करेंगे जिन पर इसकी जिम्मेदारी आती है।
अनेकों तरह से अपमानित भी किया गया। अनेकों झंझावातों और कठिनाइयों के बीच मानवीय गरिमा के लिए उनके प्रयास शिथिल नहीं हुए।
इतना ही नहीं इस गरिमा को बरकरार रखने वालों हेतु उनका जीवन प्रकाश दीप और कर्म पगडंडी बन गई।
आज की प्रगतिशील अमेरिकी नारी मुक्ति की जो साँस ले पाई है उसके मूल में अनेकों के साथ ऐंजेला डेविस का पुरुषार्थ मुख्य रहा है। विशेष रूप से शोषितों, पिछड़ों व दबे पिसे नीग्रो अमेरिकी महिलाओं के लिए वे देवदूत बनकर आयीं। परिवर्तन हर क्षेत्र में अवश्यम्भावी प्रक्रिया है। नींव के पत्थर बनने वाले प्रतिभाशील इसमें सदा से महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहें हैं। नवयुग का नवोन्मेष उन्हीं के माध्यम से अब आगे भी होना है।