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उदारता व्यक्ति को आस्तिक बनाती है
अहं का विसर्जन ही समर्पण
मनुष्य ईश्वर की श्रेष्ठतम कृति
अध्यात्म है ही सुव्यवस्था का नाम
जड़ प्रजा है तो चेतन राजा
भटकन मिटी, जब संवेदना का मर्म जाना
गायत्री महाशक्ति की उच्चस्तरीय साधना
सौन्दर्य बोध का दुरुपयोग न हो, रसना पर नियंत्रण हो
मंत्र शक्ति को सबल प्राणवान बनाती है- श्रद्धा संवेदना
क्रोध तो कृत्रिम है, मनुष्य स्वभावतः शान्त है
स्वाध्याय का मूल प्रयोजन आत्मा का शिक्षण
महानता, बड़प्पन के प्रदर्शन में कहीं
पराई पीर जब अपनी बन जाय
तप-तितिक्षाएँ, जो व्यक्तित्व को प्रखर बनाती हैं
बनें, उत्कृष्ट बुद्धिवादी
प्राण धारण कर प्राणवान बनने की प्रक्रिया
असंस्कृत अचेतन से सुसंस्कृत अतिचेतन की ओर
शाश्वत-सनातन मुक्ति का राजमार्ग
आध्यात्मिक काम विज्ञान का ककहरा
सार्थक चिकित्सा हेतु सकारात्मक चिन्तन
सब चले जायँ, पर धर्म साथ न छोड़ें
अपने समय का सबसे बड़ा संकट व उसका निवारण
भारत का भविष्य
परम पूज्य गुरुदेव का ऐ सामयिक लेख- क्या कहीं अर्जुन एवं हनुमान हैं? (चैत्र नवरात्रि १९९० की पूर्व बेला में लिखा गया एक अप्रकाशित लेख)
परम पूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी, हमने जीवन भर बोया एवं काटा
धारावाहिक विशेष लेखमाला-५, युगपुरुष पूज्य गुरुदेव पं( श्रीराम शर्मा आचार्य, प्रेम व करुणाा से लबालब था, जिनका अन्तःकरण
विशिष्ट सामयिक लेख- सूर्य, नारायण हैं- सृष्टि के पिता हैं
या तो अभी या कभी नहीं
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ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुरवरेण्यम् भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात् ||
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Year 1993 - Version 1
Media: SCAN
Language: HINDI
उदारता व्यक्ति को आस्तिक बनाती है
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Other Version of this book
Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...
Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
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